हिन्दू धर्म को मानने वाले श्रद्धालुओं में अपने ईश्वर के प्रति इतनी श्रद्धा और विश्वास होता हैं कि भक्त यह मानने लगता हैं कि उसके साथ जो कुछ भी अच्छा या बुरा स्थूल रूप में घट रहा है, वही सब उसके आराध्य भगवान के साथ भी हो रहा हैं- जैसे भक्त को भुख लगी हैं तो उसके भगवान को भी भुख लगी होगी । भक्त बीमार है तो उसका भगवान भी अवश्य ही बीमार होगा, इसी श्रद्धा भाव से वह बीमारी ठीक करने के लिए स्वयं तो औषधी लेता हैं, परंतु वह अपने भगवान को भी औषधी का भोग लगाकर जल्दी स्वस्थ्य होने की प्रार्थना करता हैं, और हमारे सनातन धर्म की खूबसूरती यही है कि हमने ईश्वर को स्वयं के शरीर के अंगों की तरह ही अंगअवयव माना हैं ।
हमने अपने भगवान को सुलाया, जगाया, स्नान कराया, भोजन कराया, यहां तक कि ग्रहणकाल में सूतक भी लगाया हैं । हमारा भगवान सर्दी-गर्मी से प्रभावित होता हैं, ग्रीष्मकाल में कई मन्दिरों में भगवान के लिए वातानुकूलित भी लगायें जाते हैं, तो वहीं सर्दी के मौसम में भगवान की मूर्तियों को ऊनी पोशाकें भी पहनाई जाती हैं । लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे भगवान बीमार भी होते हैं, जी हां चौंकिए मत, भगवान जगन्नाथ स्नान यात्रा के बाद बीमार हो जाते हैं, और 15 दिनों तक विश्राम करने के बाद रथ पर बैठ बाहर आकर अपने भक्तों को दर्शन देते हैं ।
अभी बीमार हैं भगवान, 14 जुलाई 2018 को देंगे दर्शन
हर साल ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि को भगवान श्री जगन्नाथ की 'स्नान यात्रा' का महोत्सव मनाया जाता है, इस वर्ष यह महोत्सव 27 जून को मनाया गया, इस उत्सव में श्री भगवान का शीतल जल से अभिषेक किया जाता है, कहा जाता हैं कि इस अभिषेक के बाद भगवान श्री जगन्नाथ बीमार हो जाते हैं, और अस्वस्थ होने के कारण 15 दिनों तक वे अपने भक्तों को दर्शन नहीं पाते, इस अवधि में केवल उनके निजी सेवक एवं वैद्य ही उनके पास जाकर दर्शन के साथ भगवान का विशेष औषधियों से उपचार करते हैं ।
इन 15 दिनों की अवधि में भगवान जगन्नाथ को ज्वरनाशक औषधियों के साथ फलों का रस, खिचड़ी, दलिया इत्यादि पदार्थों का भोग लगाया जाता हैं, इस अवधि को 'अनवसर' कहा जाता है । इस अवधि के बीत जाने पर भगवान पुन: स्वस्थ होकर अपने प्रिय भक्तों को दर्शन देने के लिए रथ पर सवार होकर मन्दिर से बाहर आते हैं, जिसे 'रथयात्रा' कहा जाता है, जो हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकाली जाती हैं, इस साल भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा 14 जुलाई 2018 को निकलेगी, और इसे के बाद सभी श्रद्धालु भक्तों को वे दर्शन देंगे ।
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