जो माता संतोषी के भक्त वे सूर्योदय से पूर्व उठें । घर की सफाई कर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं । घर के ही किसी पवित्र स्थान पर संतोषी माता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें । संपूर्ण पूजन सामग्री तथा किसी बड़े पात्र में शुद्ध जल भरकर रखें । जल भरे पात्र पर गुड़ और चने से भरकर दूसरा पात्र रखें । संतोषी माता की विधि-विधान से पूजा करने के बाद माता संतोषी की आरती श्रद्धा पूर्वक करें, और इस दिन उपवास भी रखे । आरती के बाद सभी को गुड़-चने का प्रसाद बांटें । अंत में बड़े पात्र में भरे जल को घर में जगह-जगह छिड़क दें तथा शेष जल को तुलसी के पौधे में डाल दें । दोनों समय आरती करने के बाद उपवास खोले । 16 शुक्रवार का नियमित उपवास रखने का नियम हैं । उपवास वाले दिन खट्टी चीजों का न ही स्पर्श करें और न ही खाएं । इस दिन गुड़ और चने का प्रसाद स्वयं भी खाना चाहिए ।
संतोषी माता की आरती
मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की ।
मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की ।
जय जय संतोषी माता जय जय माँ ॥
जय जय संतोषी माता जय जय माँ
जय जय संतोषी माता जय जय माँ
बड़ी ममता है बड़ा प्यार माँ की आँखों में ।
माँ की आँखों में ।
बड़ी करुणा माया दुलार माँ की आँखों में ।
माँ की आँखों में ।
क्यूँ ना देखूँ मैं बारम्बार माँ की आँखों में ।
माँ की आँखों में ।
दिखे हर घड़ी नया चमत्कार आँखों में ।
माँ की आँखों में ।
नृत्य करो झूम झूम, छम छमा छम झूम झूम,
झांकी निहारो रे ॥
मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की ।
मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की ।
जय जय संतोषी माता जय जय माँ ॥
सदा होती है जय जय कार माँ के मंदिर में ।
माँ के मंदिर में ।
नित्त झांझर की होवे झंकार माँ के मंदिर में ।
माँ के मंदिर में ।
सदा मंजीरे करते पुकार माँ के मंदिर में ।
माँ के मंदिर में ।
वरदान के भरे हैं भंडार, माँ के मंदिर में ।
माँ के मंदिर में ।
दीप धरो धूप करूँ, प्रेम सहित भक्ति करूँ,
जीवन सुधारो रे ॥
मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की ।
मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की ।
जय जय संतोषी माता जय जय माँ ॥
जय जय संतोषी माता जय जय माँ
जय जय संतोषी माता जय जय माँ
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