भगवान विष्णु के अवतारों के बारे में तो हम सब जानते हैं और उनके सभी अवतारों में से एक अवतार सर्वश्रेष्ठ माना जाता है कृष्ण अवतार। भगवान श्री कृष्ण संपूर्ण कला के अवतार माने जाते हैं। कृष्ण जी के कई नाम थे उनमें से एक था कान्हा और आज हर मां अपने बेटे में कान्हा की छवी देखना चाहती है और उसी नाम से पुकारती भी है। ज्योतिष शास्त्र की गणना के अनुसार जिस नक्षत्र में श्री कृष्ण का जन्म हुआ था यदि उसी नक्षत्र और दिनांक में कोई बालक जन्म लेता है तो उसमें कृष्ण की एक कला जरुर दिखाई दोती है। वहीं वो बालक कृष्ण की तरह मनमोहने वाला होता है। कान्हा जी संपूर्ण कलाओं में दक्ष थे, ऐसे में इन कलाओं के बारे में जानना जरूरी हो जाता है आखिर कौन सी कलाएं थी भगवान श्री कृष्ण में जो उन्हें पूर्णावतार बनाती हैं। साथ ही श्री कृष्ण किन नक्षत्रों में श्री कृष्ण ने जन्म लिया था आइए जानते हैं....
भगवान विष्णु के अवतार श्री राम को 12 कलाओं का ज्ञान था, जबकि श्रीकृष्ण को संपूर्ण कलाओं में दक्ष कहा जाता है। श्री कृष्ण श्री संपदा, भू संपदा, कीर्ति संपदा, वाणी सम्मोहन, लीला, कांति, विद्या, विमला, उत्कर्षिणि शक्ति, नीर-क्षीर विवेक, कर्मण्यता, योगशक्ति, विनय, सत्य धारणा, आधिपत्य और अनुग्रह क्षमता समेत 16 कलाओं से परिपूर्ण थे। आइए भारतीय पंचांग व ज्योतिष के अनुसार जानते हैं श्रीकृष्ण के जन्म नक्षत्र, वार और तिथी में बनने वाले योग और गुण के बारे में।
1. कृष्ण जी की जन्म तिथि – कान्हा जी का जन्म अष्टमी तिथि को हुआ था। इस दिन जन्मा व्यक्ति धर्मात्मा, सत्यवादी, दानी, भोगी, दयावान और सभी कर्मों में निपुण होता है। गोपाल जी में तो यह सभी गुण देखते थे। इस तिथि का निर्माण सूर्य और चंद्र के अंतर से होता है।
2. कृष्ण जी के जन्म का वार– कृष्ण जी का जन्म सोमवार के दिन हुआ था। पूर्ण सात ग्रह होने के कारण सप्तवारों की रचना की गई है। एक वार सूर्योदय से दूसरे दिन के सूर्योदय पूर्व तक रहता है। सोमवार के दिन जन्में भगवान कृष्ण में वार अनुसार गुणों को देखें तो ऐसा जातक कल्पनाशील, प्रियवक्ता, बुद्धिमान, सौन्दर्य और संपत्ति से युक्त होता है।
3. कान्हा जी का जन्म नक्षत्र– कृष्ण जी का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। जिस दिन चंद्रमा जिस स्थान पर होता है, उस दिन वही नक्षत्र रहता है। रोहिणी नक्षत्र में जन्में जातक बहुत धनवान, कृतज्ञ, मेधावी, राजमान्य, प्रियवता, सत्यवादी और सुन्दर होता है। कृष्ण में ये सभी गुण देखे जा सकते हैं।
4. कृष्ण जी का जन्म योग– कान्हा जी का जन्म हर्षण नक्षत्र में हुआ था। हर्षण योग में जन्में जातक की बात करें तो व्यक्ति बड़ा भाग्यशाली व राजमान्य, विज्ञान और शास्त्रों में निपुण होता है। इस योग में सूर्य-चंद्र के 13 अंश 20 कला साथ चलने से एक योग होता है।
5. कृष्ण जी का जन्म करण– कान्हा जी का जन्म कौलव करण में हुआ था। इस करण में जन्मा जातक सबसे प्रीति और मित्रों का संग करने वाला तथा सम्मानित होता है। तिथि के अर्द्ध भाग को करण कहते हैं। श्रीकृष्ण के भीतर ये सभी गुण स्पष्ट रूप से नजर आते हैं।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/2NBWwBf
EmoticonEmoticon