नेतीजी सुभाष चंद्र बोस जयंती- आज भी देश सेवा की प्रेरणा व जोश देते है, ये क्रांतिकारी विचार

भारत मां के महानतम स्वतंत्रता सेनानियों में से एक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का नाम युगों युगों तक इतिहास में अमर रहेगा । द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिये, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया था और देश को आजादी दिलाने में अहं भूमिका निभाई थी । आज 23 जनवरी को उनकी जयंती पर उनके क्रांतिकारी विचारों को अपनाकर अपने भीतर भी एक मशाल भारत मां के उत्थान के लिए सतत जलायें रखने का सकंल्प लें ।

 

याद रखें अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना सबसे बड़ा अपराध है । ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं, हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिलेगी, हमारे अन्दर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए । आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके, एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशश्त हो सके । मुझे यह नहीं मालूम की स्वतंत्रता के इस युद्ध में हममे से कौन कौन जीवित बचेंगे, परन्तु मैं यह जानता हूँ ,अंत में विजय हमारी ही होगी ।

 

भारत में राष्ट्रवाद ने एक ऐसी सृजनात्मक शक्ति का संचार किया है जो सदियों से लोगों के अन्दर से सुसुप्त पड़ी थी । मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि हमारे देश की प्रमुख समस्यायों जैसे गरीबी ,अशिक्षा , बीमारी , कुशल उत्पादन एवं वितरण का समाधान सिर्फ समाजवादी तरीके से ही की जा सकती है । यदि आपको अस्थायी रूप से झुकना पड़े तब वीरों की भांति झुकना । संघर्ष ने मुझे मनुष्य बनाया, मुझमे आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ ,जो पहले नहीं था । मुझमे जन्मजात प्रतिभा तो नहीं थी ,परन्तु कठोर परिश्रम से बचने की प्रवृति मुझमे कभी नहीं रही ।

 

जीवन में प्रगति का आशय यह है की शंका संदेह उठते रहें और उनके समाधान के प्रयास का क्रम चलता रहे । हम संघर्षों और उनके समाधानों द्वारा ही आगे बढ़ते हैं । हमारी राह भले ही भयानक और पथरीली हो ,हमारी यात्रा चाहे कितनी भी कष्टदायक हो , फिर भी हमें आगे बढ़ना ही है ! सफलता का दिन दूर हो सकता है ,पर उसका आना अनिवार्य है । श्रद्धा की कमी ही सारे कष्टों और दुखों की जड़ है । अगर संघर्ष न रहे ,किसी भी भय का सामना न करना पड़े, तब जीवन का आधा स्वाद ही समाप्त हो जाता है ।



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