यहां परशुराम ने की थी शिव आराधना, जलाभिषेक से पूरी होती है मनोकामना

परशुरामेश्वर मंदिर भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है, जो शिवभक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। इस प्राचीन शिव मंदिर में लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं और भगवान को जल चढ़ाकर अपनी मनोकामना मांगते हैं। मान्यताओं के अनुसार यहां जो भी मनोकामना मांगी जाती है, वह जरूर पूरी होती है। परशुरामेश्वर महदेव मंदिर उत्तरप्रदेश के बागपत के पुरा गांव में स्थित है। मंदिर बहुत ही पवित्र स्थल माना जाता है, क्योंकि इसी स्थान पर भगवान परशुराम ने भगवान शिव की आराधना की थी। यहां साल में दो बार लगने वाले कांवड़ मेले में 20 लाख से अधिक श्रद्धालु कांवड़ लाकर भगवान आशुतोष का जलाभिषेक करते हैं।

 

parshurameshwar mandir

मंदिर को लेकर मान्यता है की जहां पर परशुरामेश्वर पुरामहादेव मंदिर है। काफी पहले यहां पर कजरी वन हुआ करता था। इसी वन में जमदग्नि ऋषि अपनी पत्नी रेणुका सहित अपने आश्रम में रहते थे। रेणुका प्रतिदिन कच्चा घड़ा बनाकर हिंडन नदी से जल भर कर लाती थीं। वह जल शिव को अर्पण करती थीं। हिंडन नदी, जिसे पुराणों में पंचतीर्थी कहा गया है और हरनन्दी नदी के नाम से भी विख्यात है। जो यहां पास से ही निकलती है। ऐतिहासिक तथ्यों की माने तो भगवान परशुराम की तपोस्थली और वहां स्थापित शिवलिंग खंडहरों में तब्दील हो गया था। जिसके बाद पुनः लंढौरा की रानी ने करवाया था इस मंदिर का निर्माण।

 

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किवदंतियों के अनुसार एक बार रुड़की स्थित कस्बा लंढौरा की रानी अपने लाव-लश्कर के साथ यहां से गुजर रही थीं, तो उनका हाथी इस स्थान पर आकर रुक गया। महावत की तमाम कोशिशों के बावजूद हाथी एक भी कदम आगे नहीं बढ़ा।

जिज्ञासावश रानी ने नौकरों से यहां खुदाई कराई तो वहां शिवलिंग के प्रकट होने पर आश्चर्य चकित रह गईं। इन्हीं रानी ने यहां पर एक शिव मंदिर का निर्माण कराया, जहां वर्तमान में हर साल लाखों श्रद्वालु हरिद्वार से पैदल गंगाजल लाकर भगवान आशुतोष का जलाभिषेक करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो इस सिद्ध स्थान पर श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना करता है उसकी सभी इच्छायें पूर्ण हो जाती हैं।



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