कैसे हुआ देवी का जन्म? जान लीजिए नवदुर्गा से जुड़े ये तथ्य

नवरात्रि में देवी दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि में हम जिस देवी को शक्ति क रूप में पूजते हैं, उस देवी के बारे में हिन्दू शास्त्रों में कई बातें बताई गईं हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस नवरात्रि में हम मां दुर्गा की पूजा करते हैं, इनसे जुड़ी मान्यताएं क्या है और देवी का जन्म कैसे हुआ था?

कैसे हुआ देवी दुर्गा का जन्म?

माना जाता है कि देवी का जन्म सबसे पहले दुर्गा के रूप में हुआ था, जो राक्षस महिषासुर का वध करने के लिए हुआ था। यही कारण है कि देवी को महिषासुर मर्दिनी कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महिषासुर सभी देवताओं को भगाकर स्वर्ग पर कब्जा कर लिया था, तब सभी देवता त्रिमुर्ती के पास गए। देवताओं की व्यथा सुनकर ब्रह्मा, विष्णु और महेश ( भगवान शिव ) ने अपने शरीर की ऊर्जा से एक आकृति बनाई। इसके बाद सभी देवताओं ने अपनी शक्तियां उस आकृति में डाली। यही कारण है कि देवी दुर्गा को शक्ति भी कहा जाता है।


सबसे ताकतवर भगवान

देवी दुर्गा की छवि बेहद सौम्य और आकर्षक थी और उनके कई हाथ थे। सभी देवताओं ने मिलकर उन्हें शक्ति दी, इसलिए देवी दुर्गा सबसे ताकतवर भगवान मानी जाती हैं। भगवान शिव ने उन्हें त्रिशुल दिया, विष्णु ने चक्र, ब्रह्मा ने कमल, वायु देव से नाक मिली, पर्वतों के देवता हिमावंत से कपड़े, धनुष और शेर मिला। ऐसे ही सभी देवताओं ने एक-एक कर के देवी को शक्ति दी, तब वो दुर्गा बनीं और महिषासुर से युद्ध के लिए तैयार हुईं।

9 दिन ही क्यों की जाती है देवी दुर्गा की पूजा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी दुर्गा को महिषासुर को मारने में 9 दिन लगे थे। यही कारण है कि नवरात्रि को 9 दिन तक मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महिषासुर और अन्य राक्षसों को मारने के लिए देवी दुर्गा ने हर दिन अलग-अलग रूप लिया था। यही कारण है कि नवरात्रि में 9 दिन 9 अलग-अलग देवियों की पूजा की जाती है।

शेर की सवारी ही क्यों?

अक्सर हम तस्वीरों में देवी दुर्गा को शेर की सवारी करते देखते हैं। मन में सवाल उठता है कि आखिर देवी दुर्गा शेर की सवारी क्यों करती हैं। दरअसल, मां दुर्गा का वहान शेर है और इसे अतुल्य शक्ति से जोड़कर देखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां दुर्गा शेर पर सवार होकर दुख और बुराई का अंत करती हैं।

108 मंत्रों का जाप क्यों होता है?

नवरात्रि में देवी दुर्गा की पूजा करने के दौरान 108 मंत्रों का जाप किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम ने रावण से युद्ध करने से पहले मां दुर्गा की पूजा की थी। कहा जाता है कि इस दौरान भगवान राम ने देवी दुर्गा को 108 नीलकमल चढ़ाए थे। मान्यताओं के अनुसार, जिस दिन रावण का वध हुआ था, उस दिन दशहरा मनाया जाता है। यही कारण है कि नवरात्रि के अंत में दशहरा मनाया जाता है और उस दिन रावण को जलाया जाता है।



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