मार्गशीर्ष अमावस्या : व्रत रखकर इस काम से प्रसन्न हो जाते हैं पूर्वज पितृ

अगहन मास यानी की मार्गशीर्ष माह का शास्त्रों में बहुत महत्व बताया गया है। मार्गशीर्ष महीने की अमावस्या तिथि साल की अन्य अमावस्या तिथियों से श्रेष्ठ मानी जाता है। भगवान श्रीकृष्ण गीता में कहते हैं कि मैं स्वयं सभी महीनों में मार्गशीर्ष हूं। भगवान श्रीकृष्ण ने इसी अगहन माह में गीता का दिव्य ज्ञान रूपी संदेश अर्जुन के माध्यम से समाज को दिया था। मान्यता है कि इस अमावस्या को उपवास रखकर पूर्वज पितृों का तर्पण, दान करने से वे प्रसन्न हो जाते हैं।

 

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मार्गशीर्ष अमावस्या व्रत का महत्व

जिस प्रकार पितृपक्ष की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या के रूप में मनाया जाता है, ठीक उसी प्रकार कहा जाता हैं कि मार्गशीर्ष माह की अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त व्रत रखने और जल से तर्पण करके सारे पितरों को प्रसन्न किया जा सकता है। इस दिन व्रत करने से कुंडली के पितृ दोष समाप्त हो जाते हैं, निसंतानों को संतान प्राप्ति के योग बन जाते हैं, अगर किसी के भाग्य स्थान में राहू नीच का होकर परेशान कर रहा हो तो वह भी दूर हो जाती है। अगहन माह की अमावस्या के व्रत से न केवल पितृगण बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, रूद्र, अश्विनीकुमार, सूर्य, अग्नि, पशु-पक्षियों सहित सब भूत-प्राणियों की तृप्ति भी हो जाती है।

 

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मार्गशीर्ष अमावस्या पर व्रत रखकर करें ये काम

कहा जाता है कि मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय यमुना नदी में स्नान करने से महापुण्यफल की प्राप्ति होने के साथ जीवन से दुख भी दूर हो जाते हैं। अगर कोई इस अमावस्या के दिन व्रत उपवास रखने के साथ भगवान श्री सत्यनारायाण भगवान की कथा का पाठ भी करता है तो उसकी कामनाएं पूरी होने लगती है। जो भी इस दिन विधि विधान से यह पूजा करते हुए व्रत रखकर अपने पूर्वजों की प्रसन्नता के लिए तर्पण, दान पुण्य आदि कर्म करते हैं उनके सारे पाप कर्म भी नष्ट हो जाते हैं, एवं पितृों का सुक्ष्म रूप में मदद करते हैं।

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