अपनी मनोकामना लेकर इस मंदिर के बाहर धरने पर बैठते हैं भक्त

देशभर में भोलेनाथ के अनेकों मंदिर हैं और हर मंदिर में भक्तों की आस्था जुड़ी हुई है। लेकिन मंदिरों में आस्था, भक्ती के अलावा कुछ परंपराएं और किवदंतियां भी जुड़ी होती है जो कि उस मंदिर को अन्य से ज्यादा खास बनाती हैं।

 

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इन्हीं मंदिरों में से एक मंदिर झारखंड में स्थित है। झारखंड में भगवान शिव का एक प्रसिद्ध मंदिर है, जहां भक्त शिव जी के दर्शन के लिये आते हैं और धरना देकर बैठ जाते हैं। मंदिर के बाहर धरना देने की परंपरा यहां वर्षों से निभाई जा रही है। तो आइए जानते हैं यहां क्यों दिया जाता है धरना....

अपनी मनोकामना लेकर इस मंदिर के बाहर धरने पर बैठते हैं भक्त

इसलिये धरने पर बैठते हैं भक्त

जिस प्रसिद्ध मंदिर के बारे में हम बात कर रहे हैं वह मंदिर झारखंड के दुमका में बाबा बैद्यनाथ के नाम से प्रसिद्ध है। बाबा बैद्यनाथ के मंदिर में दूर-दूर से दर्शन के लिये लोग आते हैं और अपनी मनोकामना के लिये मंदिर के बाहर धरना देने बैठ जाते हैं। बैद्यनाथ मंदिर को लेकर लोगों की मान्यता प्रचलित है कि यहां जो की भक्त मंदिर के बाहर धरना देते हैं उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है। इसलिये लोग यहां आते हैं और धरने पर बैठ जाते हैं।

 

अपनी मनोकामना लेकर इस मंदिर के बाहर धरने पर बैठते हैं भक्त

कई भक्तों की हुई मनोकामना पूरी

मंदिर में धरना दे चुके कई भक्तों का कहना है कि धरना देने से उनकी मनोकामनाएं पूरी हुई। यहीं नहीं धरना देने से और कई गंभीर बीमारियां तक ठीक हो जाती हैं। भगवान शिव का यह मंदिर 'बाबा बैद्यनाथ' के नाम से प्रसिद्ध है। आज भी यहां कई कई सालों से धरने पर बैठे हुए हैं।

 

निःसंतान दंपतियों की होती है हर मुराद पूरी

भगवान शिव के इस मंदिर में सावन के महीने में हर साल एक बड़ा मेला भी लगता है। मान्यता हैं कि निःसंतान दंपत्ति भी अगर सच्चे मन से अपनी मनोकामना लेकर यहां कुछ दिन धरना देते हैं तो भोले बाबा उनकी मुराद पूरी कर देते हैं।



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