2 जनवरी 2020 : गुरु गोविंद सिंह जयंती

गुरु गोविंद सिंह उन दिनों चमकौर के किले में रहकर, मुगलों से युद्ध कर रहे थे। मुखवाल से जाते समय उनकी माता और दो नन्हें बच्चे फतहसिंह और जोरावरसिंह बिछुड गये थे। लेकिन गुरु गोविंदसिह को काम में व्यस्त होने के कारण उनको खोजने का समय न मिल पाया था। वे अपने बड़े लडकों अजीतसिंह और जुझारसिंह के साथ चमकौर के किले में रहकर आगे की योजनाएं बनाने और कार्यान्वित करने में व्यस्त थे। तभी एक दिन कुछ दूत उनके पास संदेश लेकर आए। वे मुखवाल और आनंदगढ़ की तरफ से ही आए थे।

2 जनवरी 2020 : गुरु गोविंद सिंह जयंती

गुरु गोविंदसिंह ने दूतों का स्वागत किया और हँसकर पूछा-बताओ भाई हमें छोड़कर गए हुए सिक्खों और बिछुडी़ हुई माता एवं दोनों कुमारों का कोई समाचर है और अगर शत्रुओं का कोई समाचार हो तो बतलाऔ। दूतों ने कहा गुरुजी! जो सिक्ख मुखवाल से आपका साथ छोड़कर चले गए उनके गाँव पहुँचने पर उनके परिवार वालों तक ने उन्हें धिक्कार कर विश्वासघाती कहा। उनको अपनी गलती अनुभव हुई, और अब वे सब आपसे क्षमा माँगने के लिये इधर चल पडे है।" गुरु गोविंदसिंह ने हर्षपूर्वव कहा-यह तो बडा शुभ समाचार है, उनको अब भूला नही कहा जा सकता और आगे के समाचार बतलाओ।

2 जनवरी 2020 : गुरु गोविंद सिंह जयंती

दूतों ने आगे कहा- "यह जानकर कि आप चमकौर में विराजमान हैं मुगलों की एक बडी़ भारी सेना चमकौर पर आक्रमण करने आ रही है।" गुरु गोविंद सिंह ने कहा- यह तो और भी अच्छा समाचार है। धर्म युद्ध तो तब तक चलता ही रहना चाहिए, जब तक अधर्म का नाश न हो जाए।'' आगे बतलाओ माता और कुमारों का क्या समाचार है क्या कुमारों या माता ने शत्रुओं की शरण ले ली अथवा प्राणो के मोह में धर्म मार्ग से विचलित हो गए, दूत तत्काल बोल उठ महाराज ऐसा न कहे। कुमारों ने धर्म के नाम पर बलिदान दे दिया है। यह कहकर दूत रोने लगे, गुरु गोविंद सिंह ने उत्सुकतापूर्वक कहा- ''अरे भाई तुम ऐसा शुम समाचार सुनाते वक्त इस प्रकार रो रहे हो। यह तो ठीक नहीं। शुभ समाचार तो हँसते हुए उत्साहपूर्वक सुनाना चाहिए। जल्दी बताओ उन सिंह संतानों ने कहाँ और क्स प्रकार धर्म पर अपना बलिदान दे दिया ?

2 जनवरी 2020 : गुरु गोविंद सिंह जयंती

दूतों ने बतलाया-गुरुजी मुखवाल से बिछुडकर माता और कुमार गंगू रसोइये के साथ उसके घर चले गए, कितु गंगू ने माता जी के साथ विश्वासघात करके कुमारों को गिरफ्तार कराकर सरहिंद के नवाब के हवाले कर दिया। सरहिंद के नवाब ने उनसे कहा-बालकों अगर तुम मुसलमान हो जाओ तो तुम्हारी जान बख्स दी जायेगी, शाहजादियों से तुम्हारी शादी करा दी जायेगी, और एक बहुत बडी़ जागीर इनाम में दे दी जायेगी, किन्तु वे दोनों कुमार न तो मौत से डरे और न लालच में आये।

2 जनवरी 2020 : गुरु गोविंद सिंह जयंती

उन्होंने नबाव से साफ-साफ कह दिया कि धर्म की महत्ता एक प्राण क्या करोडो़ं प्राणों से भी अधिक है और न धर्म बिकने वाली चीज है, जो आप लोभ देकर खरीदना चाहते हैं। आप बेशक हमारे प्राण ले लीजिए। लेकिन हम अपना धर्म नही छोड़ सकते। इस पर नबाव ने सरदारों को बच्चों के मार डालने का हुक्म दिया, लेकिन वे तैयार न हुए। तब नबाव ने उन बच्चों को किले की दीवार में जिन्दा चुनवा दिया लेकिन वे दोनों कुमार अंत तक हँसते और धर्म की जय बोलते रहे। माता ने यह समाचार सुना तो छत से कूदकर प्राण दे दिए। गुरु गोविंदसिंह खुशी से उछल पड़े, फतह सिंह और जोरावर सिंह सच्चे धर्म वीर थे। हम सबको उनसे शिक्षा लेनी चाहिए, इसी प्रकार निर्भय बलिदान देकर ही धर्म की रक्षा की जाती है। वीरों तुमने धर्म की साख बढाई।

****************

2 जनवरी 2020 : गुरु गोविंद सिंह जयंती

from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/2ZN66bt
Previous
Next Post »