हिन्दू धर्म में भगवान शिव से संबंधी अनेक पर्व मनाए जाते हैं। इनमें श्रावण (सावन) मास का अपना विशेष महत्व है। वैसे तो भगवान शंकर का यह प्रिय मास है, ऐसे में इस महीना में भगवान आशुतोष की पूजा अधिक फल देने वाली होती है।
लेकिन ऐसा भी नहीं है कि भगवान शिव केवल इसी माह अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। बल्कि वे तो हर छोटी से छोटी बात पर तक प्रसन्न हो जाते हैं, इसी कारण तो भोलेनाथ कहलाते हैं। यानि वे पूरे वर्ष के सभी माह में अपने भक्तों पर अपना आशीर्वाद बरसाते हैं।
शिव पूजन में मंत्र का पाठ शुभ माना जाता है, किन्तु कई पंडितों व जानकारों के अनुसार इसका तात्पर्य यह कदापि नहीं है कि जो मंत्र नहीं जानता है वह पूजा नहीं कर सकता। बिना मंत्र पढ़े भी समस्त पूजन सामग्री भगवान को अर्पित की जा सकती है। केवल विश्वास और श्रद्धा होनी चाहिए।
MUST READ : यहां मुगलों से नागों ने की थी इस प्राचीन शिवलिंग की रक्षा, ऐसे आया किले से बाहर
क्योंकि भगवान भोलेनाथ ने स्वयं कहा है कि-
'न मे प्रियष्चतुर्वेदी मद्भभक्त: ष्वपचोऽपि य:।
तस्मै देयं ततो ग्राह्यं स च पूज्यो यथा ह्यहम।
पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति।
तस्याहं न प्रणस्यामि स च मे न प्रणस्यति।'
अर्थात् जो भक्तिभाव से बिना किसी वेद मंत्र के उच्चारण किए मात्र पत्र, पुष्प, फल अथवा जल समर्पित करता है उसके लिए मैं अदृश्य नहीं होता हूं और वह भी मेरी दृष्टि से कभी ओझल नहीं होता है।
MUST READ : एक गाय अपने थनों से हर रोज इस शिला पर चढ़ाती थी दूध, कारण जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान
ऐसे मिलता है अपार धन-समृद्धि...
वैसे तो मान्यता है कि सावन माह में चारों सोमवार को लेकर कुछ नियम हैं, जिनसे भगवान शिव तुरंत प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन जानकारों के अनुसार चूंकि हर माह में करीब 4 ही सोमवार होते हैं, अत: सावन की ये विधि जब भक्त हर माह अपनाते हैं। तो उन्हें भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
इसके तहत हर मास के प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर कुछ विशेष वस्तुएं चढ़ाई जाती है। माना जाता है कि ऐसा करने से अपार धन-समृद्धि प्राप्त होती है।
1. पहला सोमवार- कच्चे चावल एक मुट्ठी चढ़ाई जाती है।
2. दूसरा सोमवार- सफेद तिल्ली एक मुट्ठी चढ़ाई जाती है।
3. तीसरा सोमवार- खड़े मूंग एक मुट्ठी चढ़ाई जाती है।
4. चौथा सोमवार- जौ एक मुट्ठी चढ़ाई जाती है।
MUST READ : शिवलिंग की घर में पूजा करते समय इन बातों का रखें खास ख्याल
इसके अलावा शिव की पूजा में बिल्वपत्र भी अधिक महत्व रखता है। शिव द्वारा विषपान करने के कारण शिव के मस्तक पर जल की धारा से जलाभिषेक शिव भक्तों द्वारा किया जाता है। शिव भोलेनाथ ने गंगा को जटाओं में धारण किया है।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/3eUwGXq
EmoticonEmoticon