भगवान शिव को प्रसन्न करना है सबसे सरल : सारे दुखों का निवारण करेगा महादेव का ये एक जाप

सनातन धर्म के त्रिदेवों में से एक भगवान शिव को आदिदेव भी कहा जाता है। आदिनाथ होने के कारण उनका एक नाम 'आदिश' भी है। पंडित सुनील शर्मा के अनुसार देवाधिदेव महादेव ही एक ऐसे भगवान हैं, जिनकी भक्ति के बिना मोक्ष संभव नहीं है।

वहीं अत्यंत भोले होने व तुरंत प्रसन्न हो जाने के चले हर कोई उनकी भक्ति करते हुए उन्हें जल्द प्रसन्न भी करना चाहते हैं, इसमें चाहे इंसान हो, राक्षस हो, भूत-प्रेत हो अथवा देवता हो।

शिव पुराण कथा के अनुसार शिव ही ऐसे भगवान हैं, जो शीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्तों को मनचाहा वर दे देते हैं। वे सिर्फ अपने भक्तों का कल्याण करना चाहते हैं। वे यह नहीं देखते कि उनकी भक्ति करने वाला इंसान है, राक्षस है, भूत-प्रेत है या फिर किसी और योनि का जीव है। शिव को प्रसन्न करना सबसे आसान है। और हर व्यक्ति थोड़ी सी भक्ति से उन्हें पसंद कर सकता है।

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पंडित शर्मा के अनुसार भक्त—शिवलिंग में मात्र जल चढ़ाकर या बेलपत्र अर्पित करके भी शिव को प्रसन्न कर सकते हैं। इसके लिए किसी विशेष पूजन विधि की आवश्यकता नहीं है।

पं. शर्मा के अनुसार भगवान शिव को अगर आप चावल के मात्र 4 दाने भी भाव से अर्पित करें तो भी वे प्रसन्न होकर वरदान देते हैं। भोलेनाथ को एक कलश शीतल जलधारा भी प्रसन्न कर देती है। वहीं बेलपत्र से भी मनचाहा वरदान पाया जा सकता है अगर वह संपूर्ण भाव से चढ़ाया जाए। एक धतूरा, एक आंकड़ा, एक बेर, एक संतरा भी उन्हें प्रसन्न कर सकता है। दूध, दही, शकर, घी, शहद और गन्न का रस भी श्रद्धानुसार अर्पित कर शिव से मनचाहा वरदान पाया जा सकता है।
मं‍त्र :
-नम: शिवाय, ॐ नम: शिवाय ।।
- पार्वती मंत्र : ॐ शिवाय नम:।।
माना जाता है कि शिव मं‍त्र का जाप रोज करने से सारे दुख का निवारण होगा।

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एक कथा के अनुसार वृत्तासुर के आतंक से सभी देवता भयभीत थे। वृत्तासुर को श्राप था कि वह शिव पुत्र के हाथों ही मारा जाएगा। इसलिए पार्वती के साथ शिवजी का विवाह कराने के लिए सभी देवता चिंतित थे, क्योंकि भगवान शिव समाधिस्थ थे और जब तक समाधि से उठ नहीं जाते, विवाह कैसे होता? देवताओं ने विचार करके रति व कामदेव से शिव की समाधि भंग करने का निवेदन किया। कामदेव ने शिवजी को जगाया तो क्रोध में शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया। रति विलाप करने लगी तो शिव का दिल पसीज गया और उन्होंने वरदान दिया कि द्वापर में कामदेव भगवान के पुत्र प्रद्युम्न के रूप में जन्म लेंगे।



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