हिंदू कैलेंडर में भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पितृ पक्ष की शुरुआत मानी जाती है। पितृ पक्ष का श्राद्ध सभी मृत पूर्वजों के लिए किया जाता है। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों के निधन की तिथि के अनुसार पितरों की शांति के लिए हर साल उनका श्राद्ध करते हैं।
दरअसल मान्यता के अनुसार पितृ पक्ष में सभी पितृ अपने लोक से पृथ्वी लोक पर आ जाते हैं। इसीलिए श्राद्ध पक्ष में श्राद्ध करने का विशेष महत्व माना जाता है।
ऐसे में आज हम आपको धार्मिक मान्यता के अनुसार कोरोना से मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों से जुड़ी कुछ खास जानकारी दे रहे हैं। इस संबंध में पंडित केपी शर्मा का कहना है कि कुंडली में पितृ दोष या काल सर्प दोष के उत्पन्न होने का मुख्य कारण आपके अपने पूर्वज ही होते हैं। ऐसे में कोरोना में से मृत्यु को प्राप्त हुए लोग भी भविष्य में आपके अपनों की कुंडली में पितृ दोष या काल सर्प दोष का निर्माण कर सकते हैं।
पंडित शर्मा के अनुसार वर्तमान में कोरोना में मृत्यु को प्राप्त हुए कई लोग ऐसे भी होंगे, जो वर्तमान में आपके पूर्वज नहीं होंगे। वहीं यदि कोरोना के चलते उनके मृत्यु के पश्चात किए जाने वाले समस्त धार्मिक कार्य नहीं हो सके, जिसके चलते वे अभी तृप्त नहीं होंगे।
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ऐसे में यदि इस श्राद्ध पक्ष में हम उन धार्मिक कर्मों को पूर्ण कर लेते हैं, तो सब ठीक है। लेकिन यदि उनके ये धार्मिक कर्म पूर्ण नहीं हो पाते हैं, तो धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसे में उनकी नाराजगी उन परिवारों को तो परेशान करेगी ही साथ ही उन परिवारों की अगली पुश्त में ये कोरोना से मृत्यु को प्राप्त हुए लोग उनके पूर्वज हो जाएंगे। तब इन्हीं पूर्वजों के चलते इन परिवारों की आने वाली पीढ़ी की कुंडली में पितृ दोष या काल सर्प दोष उत्पन्न होने लगेगा।
किसे कहते हैं पितृ दोष?
माना जाता है कि श्राद्ध पक्ष में पूर्वज सूक्ष्म व्यापक शरीर से अपने परिवार को जब देखते हैं और महसूस करते हैं कि हमारे परिवार के लोग न तो हमारा श्राद्ध, तर्पण, पिण्डदान आदि करते हैं और न ही हमारे प्रति श्रद्धा, कोई प्यार या स्नेह रखते हैं। न ही किसी भी अवसर पर ये हमको याद करते हैं, न ही अपने ऋण चुकाने का प्रयास ही करते हैं, तो ये आत्माएं दुखी होकर अपने वंशजों को श्राप दे देती हैं, जिसे "पितृ- दोष" कहा जाता है।
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ऐसे समझें: कैसे आता है पितृ दोष?
कई बार आपने भी देखा होगा कि जब आप कई तरह की परेशानियों से जुझने लगते हैं और किसी ज्योतिष के जानकार के पास जाते हैं, तो वे बताते हैं कि आप पर पितृ दोष है यानि आपके किसी पूर्वज का या तो श्राद्ध नहीं हुआ है। या वह तृप्त नहीं है।
ऐसे में अधिकांश लोग कहते हैं कि हम तो हर साल आपने पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं, तब मालूम चलता है कि आप ही के परिवार कोई पूर्वज सदस्य तृप्त नहीं है, कई बार ये पूर्वज अज्ञात स्थिति में भी होता है, जिसकी सामान्यत: जानकारी नहीं मिलती है।
वहीं अपने पूर्वजों के बारे में पता करने पर कई बार बुजूर्गों से ये जानकारी मिलती है कि उनसे दो या कुछ पीढ़ी पहले किसी महिला या पुरुष का श्राद्ध नहीं हो पाया था, या वे कहीं चले गए उसके बाद उनका पता नहीं चला तो श्राद्ध भी नहीं हुुआ ऐसे में कई पीढ़ियों पहले जिनका श्राद्ध आदि कर्म नहीं हुुआ होता है वहीं वर्तमान पीढ़ी में पितृ दोष का निर्माण करते हैं।
तो क्या करें इससे बचने के लिए?
पंडित शर्मा के अनुसार ऐसे में भविष्य की इन स्थितियों से बचने के लिए यानि यदि आप वर्तमान में मृत्यु को प्राप्त हुए अपनों से अपने आने वाली पीढ़ी को पितृ दोष से बचाना चाहते हैं। तो धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उनकी मृत्यु के समस्त धार्मिक कार्य पूर्ण कर उन्हें संतुष्ट करें। यही स्थिति कोरोना से मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों के लिए भी मान्य है।
ऐसे में कोरोना से मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों का तर्पण सर्वपितृ अमावस्या को करते हुए, समस्त धार्मिक कर्मों को पूर्ण कर उन्हें संतुष्ट करें। वहीं यदि उनकी मृत्यु की तिथि अज्ञात रही है तो उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को करें।
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