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1. कैसे होता है सूर्य ग्रहण : सूर्य ग्रहण तब होता है जब सूर्य आंशिक अथवा पूर्ण रूप से चंद्रमा द्वारा आवृत्त हो जाए। वैज्ञानिकों के अनुसार धरती सूरज की परिक्रमा करती है और चंद्रमा धरती की परिक्रमा करता है। जब सूर्य और धरती के बीच चंद्रमा आ जाता है तो वह सूर्य की रोशनी को कुछ समय के लिए ढंक लेता है। इस घटना को ही सूर्य ग्रहण कहते हैं।
2. क्या है अंशिक सूर्य ग्रहण : दरअसल, ग्रहण कई प्रकार होते हैं जैसे खग्रास या पूर्ण, खंडग्रास, मान्द्य, कंकणाकृति, वलयकार आदि। खंडग्रास का अर्थ अर्थात वह अवस्था जब ग्रहण सूर्य या चंद्रमा के कुछ अंश पर ही लगता है। अर्थात चंद्रमा सूर्य के सिर्फ कुछ हिस्से को ही ढंकता है। यह स्थिति खण्ड-ग्रहण कहलाती है, जबकि संपूर्ण हिस्से को ढंकने की स्थिति खग्रास ग्रहण कहलाती है। खंड ग्रहण को ही आंशिक ग्रहण लगना कहते हैं।
आंशिक सूर्यग्रहण में जब चन्द्रमा सूर्य व पृथ्वी के बीच में इस प्रकार आए कि सूर्य का कुछ ही भाग पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है अर्थात चन्दमा, सूर्य के केवल कुछ भाग को ही अपनी छाया में ले पाता है। इससे सूर्य का कुछ भाग ग्रहण ग्रास में तथा कुछ भाग ग्रहण से अप्रभावित रहता है तो पृथ्वी के उस भाग विशेष में लगा ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण कहलाता है।
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सरल अर्थों में जब पृथ्वी पर चंद्रमा की छाया पड़ती है तब सूर्य ग्रहण होता है और जब पृथ्वी सूर्य तथा चंद्रमा के बीच आती है, तब चंद्र ग्रहण होता है। सूर्य ग्रहण के दौरान धरती पर चंद्रमा की छाया पड़ती है जबकि चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा पर धरती की छाया पड़ती है।
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