Pradosh Vrat Special : भगवान शिव शंकर की पूजा का विशेष पर्व प्रदोष व्रत, हिंदू कैलेंडर के वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी बृहस्पतिवार / गुरुवार, 28 अप्रैल 2022 को है। जानकारों के अनुसार वैशाख माह जहां भगवान विष्णु के माधव स्वरूप को समर्पित है। वहीं इस माह में भगवान शिव की पूजा भी अत्यंत विशेष फलदायी मानी जाती है। इसी कारण इस माह के सोमवार का विशेष महत्व माना गया है। वहीं भगवान विष्णु के वार गुरुवार को पड़ने वाला यह प्रदोष, गुरु प्रदोष रहेगा।
जानकारों के अनुसार प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष मुहूर्त यानि प्रदोष काल में करने का विधान है। प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद का वह समय कहलाता है, जो रात्रि होने से पूर्व व सूर्यास्त के बाद का समय होता है। मान्यता के अनुसार इस समय भगवान शिव की पूजा से भक्तों को भगवान शंकर के आशीर्वादस्वरूप सफलता, यश, कीर्ति, धन, धान्य, आरोग्य आदि की प्राप्ति होती है। तो चलिए जानते हैं गुरु प्रदोष व्रत का महत्व और गुरुवार, 28 अप्रैल 2022 का पूजा मुहूर्त-
गुरु प्रदोष पर सर्वार्थ सिद्धि योग
यहां इस बात को जान लें कि इस बार गुरुवार, 28 अप्रैल को यानि गुरु प्रदोष व्रत के दिन शाम से ही सर्वार्थ सिद्धि योग बन जाएगा। सर्वार्थ सिद्धि योग के संबंध में मान्यता है कि यह योग सफलता प्रदान करने वाला होने के साथ ही कार्यों की सिद्धि के लिए बेहद शुभ माना जाता है। यह योग गुरुवार को शाम 05 बजकर 40 मिनट से अगले दिन 29 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 42 मिनट तक है।
भगवान शिव को पूजा में ये करें अर्पित, मिलेगा ये वरदान
मान्यता के अनुसार गुरु प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा करने के साथ ही गुरु प्रदोष व्रत कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए। साथ ही इस दौरान बेलपत्र,गाय का दूध,गंगाजल,सफेद चंदन,भांग, धतूरा आदि भगवान शिव को अर्पित करना चाहिए। माना जाता है कि प्रदोष व्रत के फलस्वरूप व्यक्ति को संतान, सुख, समृद्धि और यश आदि की प्राप्ति होती है। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि गुरु प्रदोष का व्रत रखने वाले भक्त से दुश्मन परास्त होते हैं और उस भक्त का विरोधियों पर वर्चस्व स्थापित होता है।
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