1. तर्पण : इस दिन नदी के तट पर जल में तिल मिलाकर विधिवत रूप में पितरों को तर्पण करें।
2. पिंडदान : यदि किसी पितृ का क्रिया कर्म अच्छे से नहीं हो पाया है तो उनकी मुक्ति होती पिंडदान करें।
3. श्राद्ध कर्म : मौनी अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान या श्राद्ध कर्म करने से पितर खुश होते हैं और सुख-समृद्धि, धन-दौलत और वंश वृद्धि और अपने वंशज को खुशहाल जीवन का आशीर्वाद देते हैं।
4. पीपल पूजा : इस दिन मौन व्रत रखने एवं पीपल का पूजन करना चाहिए, क्योंकि पीपल में सभी देवों का वास माना जाता है, अत: इस दिन पीपल वृक्ष के पूजन सभी तरह के पितरों का आशीर्वाद मिलता है और पापों से मुक्ति मिलती है। पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा करें और सफेद रंग की मिठाई अर्पित करें।
5. दान : मौनी अमावस्या के दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार असहाय या गरीब को दान दें। मंदिर में सीधा दान (आटा, दाल, घी, अनाज, शक्कर, मिष्ठान) करेंगे तो जीवन के समस्त कष्ट दूर होते हैं। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को कंबल, आंवला, तिल का तेल, तिल के लड्डू आदि का दान करें।
6. सूर्यदेव को अर्घ्य दें : इस दिन पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। सूर्यदेव को जल चढ़ाते समय उसमें लाल फूल और काले तिल जरूर मिलाएं।
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