Shani Pradosh Upay: ज्योतिषाचार्यों के अनुसार शनि के अचूक उपाय जातकों को शनि की ढैय्या और साढ़े साती से राहत दिलाते हैं। ऐसे जातक जिन पर शनि की इन अवस्थाओं का प्रभाव है, उन्हें शनि प्रदोष के दिन भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए। इसके अलावा श्री शिव रुद्राष्टकम् का पाठ करना चाहिए। इससे एक तो जातक को शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती के प्रभाव के कारण हो रही परेशानियों से राहत (dhaiya sadhe sati shanti upay ) मिलेगी, वहीं भगवान शिव और शनि देव की कृपा भी प्राप्त होगी। इसलिए शनि प्रदोष के दिन शनि उपाय (Shani Pradosh Upay) को आजमाना चाहिए। आइये कुछ और उपाय बताते हैं।
1. शनि त्रयोदशी यानी शनि प्रदोष के दिन छाया दान करना चाहिए। इसके लिए सुबह एक कटोरी में सरसों का तेल लेकर इसमें कोई सिक्का डाल दें, फिर इसमें अपना चेहरा देखें और शनि मंदिर में दान कर दें। मान्यता है कि इससे शुभ फल प्राप्त होते हैं।
2. शनि देव को प्रसन्न करने और ढैय्या साढ़े साती के अशुभ प्रभाव से मुक्त होने के लिए शनि त्रयोदशी के दिन शाम के समय काले कुत्ते को सरसों के तेल से चुपड़ी मीठी रोटी खिलाना चाहिए।
3. शनि देव भगवान शिव के उपासक हैं, इसलिए ढैय्या साढ़ेसाती की पीड़ा कम करने के लिए शनि त्रयोदशी के दिन भगवान शिव की पूजा अवश्य करनी चाहिए। जल में काला तिल मिलाकर शिव का जलाभिषेक करना विशेष फलदायी होता है। इसके बाद ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
4. भगवान शिव की पूजा के बाद शनि देव की पूजा करें, इसके लिए पहले शिव चालीसा पढ़ें और फिर शनि चालीसा पढ़ें। इससे भगवान शिव और शनि देव दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
5. शनि त्रयोदशी का व्रत करें और शिवलिंग पर 108 बेलपत्र-पीपल पत्र चढ़ाएं।
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6. कई ग्रहों के अशुभ प्रभाव से जूझ रहे हैं तो शनि त्रयोदशी के दिन उड़द की दाल, काले रंग के जूते, काले रंग के तिल, उड़द की खिचड़ी, छाता, कंबल आदि दान करें। इससे शनि देव प्रसन्न होते हैं।
7. शिव पीड़ा से मुक्ति और मानसिक शांति के लिए शनि त्रयोदशी के दिन जल और दूध पीपल की जड़ में अर्पित करें। फिर वहां पांच मिठाई रखें और पितरों का ध्यान करते हुए पीपल की पूजा करें। इसके बाद वहां सुंदरकांड का पाठ करें और पीपल की सात परिक्रमा भी करें।
कब है शनि प्रदोष
अगला शनि प्रदोष व्रत चार मार्च को है। यह तिथि इस दिन 11.43 एएम से शुरू हो रही है और पांच मार्च 2.57 पीएम तक संपन्न हो रही है। शनि प्रदोष पूजा भगवान शिव को समर्पित है और यह सायंकाल होती है। इस कारण चार मार्च को ही शनि प्रदोष व्रत रखा जाएगा, क्योंकि पांच मार्च को दोपहर बाद ही चतुर्दशी तिथि लग जाएगी।
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