21 मार्च : 21 मार्च को दिन और रात समान समय 12-12 घंटे के होते हैं। यह घटना वर्ष में दो बार होती है। जब सूर्य उत्तरायण चलते हुए दक्षिण गोल से उत्तर गोल की तरफ झुकता है अर्थात सूर्य सायन मेष राशि में प्रवेश करता है तब दिन और रात बराबर होते हैं। 21 मार्च के बाद दिन बड़े होते जाते हैं और रातें छोटी होती जाती है।
21 जून : 21 जून को साल का सबसे बड़ा दिन होता है, जिसे 'सोल्स्टिस' कहा जाता है। इसे ग्रीष्मकालीन सोल्स्टिस होता है जिसे 'सोल्स्टिस' कहा जाता है. इसे ग्रीष्मकालीन सोल्स्टिस भी कहा जाता है। दरअसल, 21 जून को सूर्य पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध पर मौजूद होता है, जिससे सूर्य की रोशनी कर्क रेखा पर सीधी पड़ती है। परिभ्रमण पथ के दौरान 21 जून को निश्चित समय पर सूर्य कर्क रेखा पर एकदम लंबवत हो जाता है।
इस दिन भारत सहित उत्तरी गोलार्द्घ में स्थित सभी देशों में सबसे बड़ा दिन तथा रात सबसे छोटी होती है। 21 जून के बाद से सूर्य दक्षिण की ओर गति करना प्रारंभ कर देगा, जिसे दक्षिणायन का प्रारंभ कहा जाता है। और फिर दिन क्रमशः छोटे होते जाएंगे और 23 सितंबर को रात-दिन बराबर होंगे।
22 दिसंबर : 22 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन होता है। पृथ्वी के अपनी धुरी पर आवर्तन के दौरान साल में एक दिन ऐसा आता है, जब दक्षिणी गोलार्ध में सूर्य की धरती से दूरी सबसे ज्यादा होती है। नतीजतन 22 दिसंबर का दिन साल में सबसे छोटा होता है और इस दिन रात सबसे लंबी होती है। इस दिन को विंटर सोलस्टाइस कहा जाता है।
कुछ वर्षों की अवधि में विंटर सोलस्टाइस के तय दिन बदल जाते हैं, लेकिन साल के इस सबसे छोटे दिन के दर्ज होने की अवधि 20 से 23 दिसंबर के बीच ही होती है। 22 दिसंबर को सूर्य के पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूर होने के कारण धरती पर किरणें देर से पहुंचती हैं। इस वजह से तापमान में भी कुछ कमी दर्ज की जाती है।
अलग-अलग देशों में इस दिन विभिन्न त्योहार भी मनाए जाते हैं। पश्चिमी देशों का सबसे बड़ा त्योहार क्रिसमस भी विंटर सोलस्टाइस के तुरंत बाद आता है। इसी तरह चीन सहित पूर्वी एशियाई देशों में बौद्ध धर्म के यीन और यांग पंथ से जुड़े लोग विंटर सोलस्टाइस को एकता और खुशहाली बढ़ाने के लिए एक-दूसरे को प्रोत्साहित करने वाला दिन मानते हैं। विंटर सोलस्टाइस को लेकर अलग-अलग देशों में विभिन्न मत हैं। अधिकतर देशों में इस दिन से कुछ न कुछ धार्मिक रीति-रिवाज ही जुड़े हैं।
विंटर सोलेस्टाइस आता है, तब भारत में मलमास चल रहा होता है, जिसे संघर्ष काल भी माना जाता है। इसे देखते हुए उत्तर भारत में श्रीकृष्ण को भोग लगाने और गीता पाठ करने की प्रथा है, वहीं 22 दिसंबर से राजस्थान के कुछ हिस्सों में पौष उत्सव भी शुरू हो जाता है। सूर्य के उत्तरायण में होने की प्रक्रिया विंटर सोलस्टाइस से ही शुरू हो जाती है, इसलिए भारत में मकर संक्रांति की तरह ईसाई बहुल देशों में क्रिसमस और नववर्ष जैसे बड़े त्योहार होते हैं।
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