Gangaur Puja 2024: अखंड सुहाग का पर्व है गणगौर, जानें कैसे करें पूजन

Gangaur-2024 
 

HIGHLIGHTS

 

• चैत्र शुक्ल तृतीया को गणगौर व्रत। 

• गणगौर तीज पूजन की आसान विधि।

• गणगौर व्रत तृतीया पर्व पर कैसे करें पूजन। 

 

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Gangaur Puja Vidhi: गणगौर का त्योहार रंगबिरंगी संस्कृति का अनूठा उत्सव है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल तृतीया का दिन गणगौर पर्व के रूप में मनाया जाता है। यह एक लोकपर्व होने के साथ-साथ धार्मिक महत्व भी रखता है। इस दिन ईसर-गौरा जी का पूजन किया जाता है। यह त्योहार खासकर महिलाओं के लिए ही होता है। वर्ष 2024 में यह पर्व 11 अप्रैल 2024, दिन गुरुवार को मनाया जा रहा है। 

 

आइए जानते हैं इस व्रत की पूजन विधि के बारे में...

 

गणगौर पूजा विधि- Gangaur Vrat Puja Vidhi 2024 

 

- चैत्र कृष्ण एकादशी के दिन प्रातः स्नान करके गीले वस्त्रों में ही रहकर घर के ही किसी पवित्र स्थान पर लकड़ी की बनी टोकरी में जवारे बोएं जाते हैं। 

- चैत्र कृष्ण एकादशी के दिन से विसर्जन तक व्रतधारी को एकासना यानी एक समय भोजन करना चाहिए।

- इन जवारों को ही देवी गौरी और शिव या ईसर का रूप माना जाता है।

- गौरी जी का विसर्जन जब तक नहीं हो जाता यानी करीब 8 दिनों तक, तब तक प्रतिदिन दोनों समय गौरी जी की विधिपूर्वक पूजन करके उन्हें भोग लगाया जाता है।

- गौरी जी की इस स्थापना पर सुहाग की वस्तुएं, कांच की चूड़ियां, सिंदूर, महावर, मेहंदी, टीका, बिंदी, कंघी, शीशा, काजल आदि चढ़ाई जाती हैं।

- पूजन में चंदन, अक्षत, धूप-दीप, नैवेद्यादि से विधिपूर्वक पूजन करके सुहाग सामग्री को माता गौरी को अर्पण किया जाता है। 

- इसके पश्चात गौरी जी को भोग लगाया जाता है।

- भोग के बाद गौरी जी की कथा कही जाती है।

- कथा सुनने के बाद गौरी जी पर चढ़ाए हुए सिंदूर से विवाहिताएं अपनी मांग भरती है।

- कुंआरी कन्याएं भी इन दिनों गौरी जी को प्रणाम करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

- गणगौर पूजन में मां गौरी के 10 रूपों की पूजा की जाती है। मां गौरी के 10 रूप- गौरी, उमा, लतिका, सुभागा, भगमालिनी, मनोकामना, भवानी, कामदा, सौभाग्यवर्धिनी और अम्बिका है। 

- तत्पश्चात चैत्र शुक्ल द्वितीया/ सिंजारे को गौरी जी को किसी नदी, तालाब या सरोवर पर ले जाकर उन्हें स्नान कराएं।

- चैत्र शुक्ल तृतीया को भी गौरी-शिव को स्नान कराकर, उन्हें सुंदर वस्त्र, आभूषण आदि पहना कर डोल या पालने में बिठाएं।

- इसी दिन शाम को गाजे-बाजे से नाचते-गाते हुए महिलाएं और पुरुष भी एक समारोह या एक शोभायात्रा के रूप में गौरी-शिव को नदी, तालाब या सरोवर पर ले जाकर विसर्जित करें।

- शाम को उपवास छोड़ें। 

- मान्यता के अनुसार गणगौर व्रत करने से सुख-सौभाग्य, समृद्धि, संतान, ऐश्वर्य में वृद्धि होती है और अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है तथा जीवन में खुशहाली आती है।

 

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