मां के इस अनोखे मंदिर में होते हैं एक से बढ़कर एक चमत्कार, बलि देने के बाद भी नहीं जाती बकरे की जान

बिहार के कैमूर जिले में मां मुंडेश्वरी का एक अनोखा और प्राचीन मंदिर स्थित है। यह मंदिर बिहार के कैमूर जिले के भगवानपुर अंचल में कैमूर पर्वतश्रेणी की पवरा पहाड़ी पर 608 फीट ऊंचाई पर है। इस मंदिर में माता के कई चमत्कार दिखाई देते हैं और साथ ही प्राचीन शिवलिंग की महीमा भी बहुत अद्भुत है। इस मंदिर का संबंध मार्केणडेय पुराण से जुड़ा है। मंदिर में चंड-मुंड के वध से जुड़ी कुछ कथाएं भी मिलती हैं। चंड-मुंड, शुंभ-निशुंभ के सेनापति थे जिनका वध इसी भूमि पर हुआ था। यहां बकरे की बलि दी जाती है लेकिन आश्चर्य की बात तो यह है की उसकी मौत नहीं होती। मंदिर में हिंदू ही नहीं बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी बलि देने आते हैं और आंखों के सामने चमत्कार होते देखते हैं। श्रद्धालुओं का कहना है की मां मुंडेश्वरी से सच्चे मन से मांगी हर मनोकामना पूरी होती हैं।

 

 

 

mata mandir

अलग है बलि देने की प्रक्रिया

भारत के प्राचीन मंदिरों मे शुमार यह मंदिर कैमूर पर्वत की पवरा पहाड़ी पर है। मां मुंडेश्वरी के मंदिर में कुछ ऐसा होता है जिस पर जिसपर किसी को भी विश्वास नहीं होता। श्रृद्धालुओं के अनुसार मंदिर में बकरे की बलि की प्रक्रिया बहुत अनूठी और अलग है। यहां बलि में बकरा चढ़ाया जाता है, लेकिन उसका जीवन नहीं लिया जाता बल्कि उसे मंदिर में लाकर देवी मां के सामने खड़ा किया जाता है, जिस पर पुरोहित मंत्र वाले चावल छिड़कता है। उन चावलों से वह बेहोश हो जाता है, फिर उसे बाहर छोड़ दिया जाता है। इस चमत्कार को देखने वाले अपनी आंखो पर यकीन नहीं कर पाते हैं। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता पशु बलि की सात्विक परंपरा है।

mata mandir

माता ने यहां किया था चंड-मुंड का वध

चंड-मुंड नाम के असुर का वध करने के लिए देवी यहां आई थीं तो चंड के विनाश के बाद मुंड युद्ध करते हुए इसी पहाड़ी में छिप गया था। यहीं पर माता ने मुंड का वध किया था। इसलिए यह माता मुंडेश्वरी देवी के नाम से प्रसिद्ध हैं। पहाड़ी पर बिखरे हुए कई पत्थर और स्तंभ बीखरे हुए हैं जिनको देखकर लगता है की उनपर श्रीयंत्र, कई सिद्ध यंत्र-मंत्र उत्कीर्ण हैं।

mata mandir

शिवलिंग का बदलता है रंग

मां मुंडेश्वरी के मंदिर में गर्भगृह के अंदर पंचमुखी शिवलिंग है। मान्यता है कि इसका रंग सुबह, दोपहर व शाम को अलग-अलग दिखाई देता है। कब शिवलिंग का रंग बदल जाता है, पता भी नहीं चलता। प्रत्येक सोमवार को बड़ी संख्या में भक्तों द्वारा शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जाता है। यहां मंदिर के पुजारी द्वारा भगवान भोलेनाथ के पंचमुखी शिवलिंग का सुबह शृंगार करके रुद्राभिषेक किया जाता है।

mata mandir

ऐसे पहुंचे मुंडेश्वरी मंदिर

मुंडेश्वरी मंदिर पहुंचने के लिए मंदिर के सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन भभुआ रोड है। यह मुगलसराय-गया रेलखंड लाइन पर है। मंदिर स्टेशन से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर है। मोहनिया से सड़क मार्ग से आप आसानी से मुंडेश्वरी धाम पहुंच सकते हैं। पहले मंदिर तक पहुंचने का रास्ता बहुत कठिन था। लेकिन अब पहाड़ी के शिखर पर स्थित मंदिर तक पहुंचने के लिए पहाड़ को काट कर सीढ़ियां व रेलिंग युक्त सड़क बनाई गई है। सड़क से कार, जीप या बाइक से पहाड़ के ऊपर मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/2twAnwd
Previous
Next Post »