मौत के बाद अंतिम संस्कार में न करें जल्दबाजी, नहीं तो..

अगर किसी परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है तो लोग उसके अंतिम संस्कार की बहुत जल्दबाजी करने लगते हैं। हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके शव का अंतिम संस्कार जल्दबाजी में बिलकुल भी नहीं करना चाहिए। अगर शास्त्रों में बताएं गए नियमों का पालन करते हुए मृतक का अंतिम संस्कार किया जाए तो उसकी आत्मा को शांति और सद्गति की प्राप्ति होती है। जानें मृत्यु के बाद कब और कैसे करना चाहिए अंतिम संस्कार।

मौत के बाद अंतिम संस्कार में न करें जल्दबाजी, नहीं तो..

 

धर्म शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के देवता यमराज अगर गलती से किसी के प्राण हर लेते हैं तो वे उसे पुनः वापस लौटा भी देते हैं। इसलिए कहा जाता है कि किसी भी मतृक का अंतिम संस्कार करने में बहुत जल्दबाजी नहीं करना चाहिए।

 

इन 3 की परिक्रमा से बदल जाता है भाग्य, होने लगती है हर मनोकामना पूरी

 

- अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के 2 घंटे पहले मृत्यु हो गई हो, अर्थात दिन में तो उनके शव का अंतिम संस्कार 9 घंटे के अदंर करने से उनकी आत्मा को मुक्ति मिल जाती है।

- अगर किसी की मृत्यु रात में हुई है तो उसका अंतिम संस्कार सुबह 10 बजे तक कर देना चाहिए।

मौत के बाद अंतिम संस्कार में न करें जल्दबाजी, नहीं तो..

- अगर किसी की मौत सूर्य के दक्षिणायन होने पर, कृष्ण पक्ष, पंचक या रात्रि में हुई हो तो इसे दोष माना जाता है। इसलिए शव को जलाने से पहले किसी रिश्तेदार के द्वारा मृतक के निमित्त बटुक ब्राह्मणों को भोजन कराना या भोजन सामग्री का दान करके, व उस दिन उपवास रहकर इस दोष का निवारण कर अंतिम संस्कार कि क्रिया समपन्न करना चाहिए, इससे मृतक की आत्मा को मुक्ति मिल जाती है।

 

सूर्यग्रहण काल में 3 बार कर लें यह उपाय, बनने लगेंगे सारे काम

 

- अगर मृतक की पत्नी या घर परिवार की कोई महिला गर्भवती है तो उसे अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होना चाहिए।

मौत के बाद अंतिम संस्कार में न करें जल्दबाजी, नहीं तो..

- अंत्येष्ठी संस्कार के समय शव का सिर दक्षिण दिशा की तरफ रखना चाहिए, क्योंकि दक्षिण की दिशा मृत्यु के देवता यमराज की मानी गई है, इस दिशा में शव का सिर रख हम उसे मृत्यु के देवता को समर्पित कर देते हैं।

 

शिरडी के साईं कर देंगे हर कामना पूरी गुरुवार सुबह-शाम कर लें ये काम

 

- अंतिम संस्कार के बाद मृतक की अस्थियां एवं पूरी राख को किसी भी पवित्र नदियों में प्रवाहित करने से उस आत्मा के ज्ञात-अज्ञात पापों का नाश होने के साथ उस आत्मा को आगे का नवीन मार्ग मिलने लगता है।

*****************



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/34zUIk9
Previous
Next Post »