यशोदा नंदन भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन विशेष रूप से उन्हें धनिए की पंजीरी बनाकर भोग लगाया जाता हैं । कहा जाता हैं कि इस भोग को ग्रहण कर कृष्ण जी प्रसन्न हो जाते हैं, क्योंक जिस प्रकार कान्हां को माखन मिश्री पसंद हैं उसी तरह धनिया की पंजरी भी पसंद हैं । आयुर्वेद में धनिया की पंजरी को खाने के अनेक फायदे भी बताएं गये है । रात्रि में त्रितत्व वात पित्त और कफ में वात और कफ के दोषों से बचने के लिए धनिए की पंजीरी का प्रसाद बनाकर ही भगवान श्रीकृष्ण को भोग लगाया जाता हैं, एवं धनिए के सेवन से वृत संकल्प भी सुरक्षित रहता है ।
धनियां पंजीरी प्रसाद- भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है, और जन्माष्टमी के दिन प्रमुख रूप से धनियां पंजीरी का प्रसाद बनाकर कृष्ण भगवान को भोग लगाया जाता है । वैसे इस दिन भगवान को छप्पन भोग के नैवेद्य का भोग भी लगते है, लेकिन कान्हां को माखनमिश्री और पंजीरी बहुत पसंद है । इसलिए जन्माष्टमी के दिन प्रसाद में धनिया की पंजीरी बनाई जाती है । वैसे धनिया की पंजीरी कभी भी बनाकर खा सकते हैं ये बहुत ही स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है । धनिया पंजीरी को किसी कंटेनर में भर कर रख कर 2-3 महिने तक आराम से खाने के लिए उपयोग कर सकते हैं, ये स्वास्थ्य के लिए भी अच्छी मानी जाती हैं । कृष्ण जन्माष्टमी पर इस विधि से बनायें धनिये की पंजीरी का भोग प्रसाद ।
धनिया की पंजीरी बनाने की सामग्री
- 1 कप धनिया पाउडर
- तीन चम्मच देसी गाय का घी
- आधा कप मखाना
- आधा कप शक्कर बूरा
- दस काजू
- दस बादाम
- एक चम्मच चिरौंजी
धनिया की पंजीरी बनाने की विधि
पंजीरी बनाने के लिए सबसे पहले कढ़ाई में 1 चम्मच घी गर्म कर लें । अब इसमें धनिया पाउडर मिलाकर अच्छी तरह से भूनकर इसमें टुकड़ों में कटे हुए मखानों को भूनकर तथा उन्हें दरदरा पीस कर डाल दें । काजू और बादाम को भी छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर इसमें मिला दें । इस तरह से भगवान को भोग लगाने वाली धनिए की पंजीरी तैयार है । भोग लगाने के बाद आप इसे प्रसाद के रूप में बांटकर स्वयं भी ग्रहण करें ।
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