सावन के समाप्त होने भादों माह अनेक त्यौहार लेकर आता है, और भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि को भी बहुत शुभ व पवित्र पुण्य फलदायी माना जाता है । इस दिन पवित्र तीर्थस्थलों का सेवन, पवित्र नदियों में स्नान, दान और पितरों का तर्पण करने से पितरों की आत्मा की शांति से लेकर कुंडली में कालसर्प जैसे दोष का निवारण शीघ्र हो जाता है । भाद्रपद की अमावस्या को इस बार बहुत सारे संयोग बन रहे हैं, और यह तिथि 9 सितंबर 2018 को रविवार के दिन है । इस अमावस्या को कुशग्रहणी के नाम से भी जाना जाता है शास्त्रों में दस प्रकार की कुशों का उल्लेख मिलता है- जाने इसका शुभ महत्व ।
अमावस्या का महत्व
वैसे तो प्रत्येक मास की अमावस्या तिथि का अपना विशेष महत्व होता है, लेकिन भाद्रपद माह की अमावस्या का अपना अलग ही महत्व हैं । कहा जाता हैं कि इस दिन धार्मिक कार्यों, श्राद्ध कर्म आदि में प्रयोग की जाने वाली कुशा घास को एकत्रित किया जाये तो वह सालभर तक पुण्य फलदायी प्रदन करने वाली सिद्ध होती है । यदि भाद्रपद अमावस्या सोमवार के दिन हो तो इस कुश का प्रयोग 12 सालों तक किया जा सकता है । कुश एकत्रित करने के कारण ही इसे कुशग्रहणी अमावस्या कहा जाता है । धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन अगर कोई व्यक्ति अपने दिवंगत पितरों की आत्मा को तृप्त करने के लिए पवित्र नदियों में कुशा मिले जल से तर्पण करता है तो उसके जीवन की समस्यों के खत्म हो जाने का आशीर्वाद पितर देते हैं ।
दस कुशा
कुशा:काशा यवा दूर्वा उशीराच्छ सकुन्दका: ।
गोधूमा ब्राह्मयो मौन्जा दश दर्भा: सबल्वजा: ।।
मान्यता है कि घास के इन दस प्रकारों में जो भी घास सुलभ एकत्रित की जा सकती हो इस दिन कर लेनी चाहिये, लेकिन ध्यान रखना चाहिये कि घास को केवल हाथ से ही एकत्रित कना चाहिये और उसकी पत्तियां पूरी की पूरी होनी चाहिये आगे का भाग टूटा हुआ न हो, और इस कर्म के लिये सूर्योदय का समय उचित रहता है । उत्तर दिशा की ओर मुख कर बैठना चाहिये और मंत्रोच्चारण करते हुए दाहिने हाथ से एक बार में ही कुश को निकालना चाहिये । इस दौरान नीचे मंत्र का उच्चारण करते रहे ।
विरंचिना सहोत्पन्न परमेष्ठिन्निसर्गज ।
नुद सर्वाणि पापानि दर्भ स्वस्तिकरो भव ।।
कुश एकत्रित करने के लिहाज से ही भादों मास की अमावस्या का महत्व नहीं है बल्कि इस दिन को पिथौरा अमावस्या भी कहा जाता हैस पिथौरा अमावस्या को देवी दुर्गा की पूजा की जाती है । पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन माता पार्वती ने इंद्राणी को इस व्रत का महत्व बताया था, इसलिए विवाहित स्त्रियां संतान प्राप्ति एवं अपनी संतान के कुशल मंगल के लिये उपवास करती हैं और देवी दुर्गा सहित सप्तमातृका व 64 अन्य देवियों की पूजा भी की जाती है ।
भाद्रपद माह की अमावस्या 9 सितंबर 2018 को रविवार के दिन अमावस्या तिथि सुबह 2 बजकर 42 से शुरू हो जायेंगी, एवं अमावस्या तिथि समाप्त रात 11 बजकर 39 मिनट पर समाप्त हो जायेगी । इस भाद्रपद अमावस्या पर अपनी कुंडली के अनुसार कालसर्प दोष के निदान के किसी जानकार से सलाह लेकर कुछ उपाय भी कर सकते है ।

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