नेपाल में 2015 में आए भीषण भूकंप के तीन साल बाद कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर काठमांडू के ललितपुर नगर निकाय में स्थित भगवान कृष्ण के 17वीं शताब्दी के मंदिर को लोगों के लिए फिर से खोल दिया गया। भारतीय शिखर शैली में निर्मित यह प्रसिद्ध मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। नेपाल में 2015 में 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था। जिसने पूरे नेपाल को तहस नहस कर दिया था। उस भूकंप में करीब 8,700 लोग मारे गए थे वहीं नेपाल की धरोहर व सांस्कृतिक विरासत को भी काफी नुकसान पहुंचा था। इसी भूकंप के कारण यहां के प्रसिद्ध कृष्ण मंदिर को दोबार रविवार को खोला गया। जिसमें दर्शन के लिए भक्तों का जनसैलाब उमड़ा है। मंदिर को दोबारा कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर खोला गया।
क्षतिग्रस्त हो गया था मंदिर
भूकंप के कारण ललितपुर में सिद्धि नरसिंह मल्ल द्वारा निर्मित कलात्मक मंदिर भूकंप में आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गया था। जिसकी मरम्मत के बाद तीन साल बाद अब मंदिर खोला गया। मंदिर दोबार खलने के बाद और भी ज्यादा खूबसूरत दिखा। इसे रंगीन झंडे, बैनर और लाइट के साथ खूबसूरती से सजाया गया है। इस कृष्ण मंदिर तीन मंजिला इमारत व 21 शिखर है।
मंदिर की हर मंजिल का है महत्व
इस खूबसूरत कृष्ण मंदिर को 21 शिखर व तीन मंजिल है। मंदिर की पहली मंजिल में पत्थरों पर हिन्दुओं के महाकाव्य महाभारत से जुड़ी घटनाओं को दर्शाया गया है, वहीं मंदिर की दूसरी मंजिल में रामायण से जुड़े दृश्यों को बखूबी बताया गया है। कृष्ण मंदिर का संपूर्ण निर्माण भारतीय शिखर शैली के आधार पर किया गया है। इस मंदिर के बारे में किवदंति है कि एक रात मल्ल राजा ने सपने में कृष्ण और राधा को देखा और अपने महल के सामने मंदिर बनाने का निर्देश दिया। इसकी एक प्रतिकृति राजा ने महल के अंदर परिसर में बनवाई थी।
मंदिर में धूमधाम से मनाई जा रही है कृष्ण जन्माष्टमी
तीन साल बाद कृष्ण मंदिर के दोबार खुलने पर श्रृद्धआलुओं में खासा उत्साह देखने को मिला। वहीं मंदिर में भक्तों की भीड़ भी देखी गई। जन्माष्टमी का त्यौहार यहां बड़ी धूम-धाम से मनाया जा रहा है। खूबसूरत रंगीन झंडे, बैनर और लाइट से मंदिर को सजाया गया है। यहां का नज़ारा काफी खूबसूत नजर आ रहा है।
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