04 अक्टूबर को बन रहा गुरु-पुष्य महायोग, मालामाल होने के लिए करें ये उपाय

गुरुवार के दिन पुष्‍य नक्षत्र का संयोग गुरु-पुष्य नक्षत्र कहलाता है। ज्‍योतिष आचार्य के अनुसार गुरु पुष्य योग बहुत ही शुभ फलदायी होता है। इस योग को बहुत ही विशिष्‍ट और अभीष्ट फल देने वाला माना गया है। कहा जाता है की इस योग में जो भी कार्य किए जाते है उन्हें सफलता जरुर मिलती है। क्योंकि पुष्य नक्षत्र सभी नक्षत्रों में सबसे शुभ माना जाता है। इस नक्षत्र में भगवान श्री राम और माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसलिए इस नक्षत्र को अत्यंत लाभकारी माना जाता है। वहीं शास्त्रों के अनुसार जब पुष्‍य नक्षत्र रविवार को होता है तो इसे रवि-पुष्‍य नक्षत्र और जब यह गुरुवार को पड़ता है तो इसे गुरु-पुष्‍य योग कहते हैं। ये दोनों योग धन तेरस और चैत्र प्रतिप्रदा के समान शुभ माने जाते हैं।

वैसे तो चंद्रमा का राशि के चौथे, आठवें एवं 12वें भाव में उपस्थित होना अशुभ माना जाता है। मगर पुष्‍य संयोग इतना शुभ माना जाता है कि यह अशुभ को भी शुभ में बदल देता है। यही वजह है कि 27 नक्षत्रों में इसको सबसे शुभ माना जाता है। इसमें आप सभी शुभ कार्यों को कर सकते हैं। इस समय पितृपक्ष चल रहा है लेकिन गुरु पुष्‍य ग्रह के प्रभाव में आप सभी शुभ कार्य कर सकते हैं। यदि आपको घर का नींव रखनी हो या फिर आपको घर, दुकान आदि का उद्घाटन करना हो तो आप इस दिन कर सकते हैं। इसके अलावा इस दिन सोना-चांदी खरिदना भी बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन सोना खरीदने का महत्‍व धनतेरस के दिन खरिदे सोने के बराबर माना जाता है। पुष्य नक्षत्र को ब्रह्याजी का श्राप मिला था, इसलिए यह नक्षत्र शादी-विवाह के लिए वर्जित माना गया है। पुष्य नक्षत्र में दिव्य औषधियों को लाकर उनकी सिद्धि की जाती है। जीवन में संपत्ति और समृद्धि को आमंत्रित करने के लिए पुष्य नक्षत्र व्यक्ति को पूरा अवसर प्रदान करता है। इस दिन किए गए सभी मांगलिक कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण होते हैं।

 

guru pushya nakshatra

इस दिन करें कुछ अचूक उपाय

1. मोती शंख का उपाय

यदि गुरु पुष्य योग में मोती शंख को कारखाने में स्थापित किया जाए तो कारखाने में तेजी से आर्थिक उन्नति होती है। मोती शंख में जल भरकर लक्ष्मी के चित्र के साथ रखा जाए तो लक्ष्मी प्रसन्न होती है। मोती शंख को घर में स्थापित कर रोज श्री महालक्ष्मै नम: 11 बार बोलकर 1-1 चावल का दाना शंख में भरते रहें। इस प्रकार 11 दिन तक करें। यह प्रयोग करने से आर्थिक तंगी समाप्त हो जाती है। यदि व्यापार में घाटा हो रहा है तो एक मोती शंख धन स्थान पर रखने से व्यापार में वृद्धि होती है।

2. एकाक्षी नारियल का उपाय

एकाक्षी नारियल, नारियल का एक प्रकार है, लेकिन इसका प्रयोग अधिकांश रूप से तंत्र प्रयोगों में किया जाता है। इसके ऊपर आंख के समान एक चिन्ह होता है। इसलिए इसे एकाक्षी (एक आंख वाला) नारियल कहा जाता है। इसे धन स्थान पर रखा जाता है। इसे साक्षात लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। पुष्य के दिन यदि इसे विधि-विधान से घर में स्थापित कर लिया जाए तो उस व्यक्ति के घर में कभी पैसों की कमी नहीं रहती है।

सबसे पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। पुष्य नक्षत्र के दिन शुभ मुर्हूत में अपने सामने थाली में चंदन या कुंकुम से अष्ट दल बनाकर उस पर इस नारियल को रख दें और अगरबत्ती व दीपक लगा दें। शुद्ध जल से स्नान कराकर इस नारियल पर पुष्प, चावल, फल, प्रसाद आदि रखें। लाल रेशमी वस्त्र ओढ़ाएं। इसके बाद आधा मीटर लंबा रेशमी वस्त्र बिछाकर उस पर केसर से यह मंत्र लिखें-

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं महालक्ष्मीं स्वरूपाय एकाक्षिनालिकेराय नम: सर्वसिद्धि कुरु कुरु स्वाहा।

अब इस रेशमी वस्त्र पर नारियल को रख दें और यह मंत्र पढ़ते हुए उस पर 108 गुलाब की पंखुडियां चढ़ाएं। हर पखुंड़ी चढ़ाते समय इस मंत्र का उच्चारण करते रहें-

मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं एकाक्षिनालिकेराय नम:।

इसके बाद गुलाब की पंखुडियां हटाकर उस रेशमी वस्त्र में नारियल को लपेटकर थाली में चावलों की ढेरी पर रख दें और इस मंत्र की 1 माला जपें-

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं एकाक्षाय श्रीफलाय भगवते विश्वरूपाय सर्वयोगेश्वराय त्रैलोक्यनाथाय सर्वकार्य प्रदाय नम:।

उस रेशमी वस्त्र में लिपटे हुए नारियल को पूजा स्थान पर रख दें। इस प्रकार एकाक्षी नारियल को घर में स्थापित करने से अपार, असीम और स्थिर धन लाभ होता है।



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