ऐसी शास्त्रोंक्त मान्यता हैं कि पितृपक्ष में पड़ने वाली इंदिरा एकादशी का महत्व अन्य एकादशी तिथियों से अधिक माना जाता है, अगर श्रद्धा भाव से इस दिन व्रत रखकर विधि पूर्वक पूजा-पाठ करने से सभी पितृों की आत्मा तृप्त होती है और अपनी संतानों को अनेक शुभ आशीर्वाद देकर हर तरह के कष्ट से मुक्ति भी दिलाते हैं । पितृ पक्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी कहा जाता है । इस दिन उपवास करने से सभी पापों का नाश तो होता ही है, साथ ही पितृ पूर्वजों को भी मुक्ति मिल जाती है । इस एकादशी का उपवास करने से गंभीर रोगों से रक्षा होती है ।
5 अक्टूबर दिन शुक्रवार को हैं इंदिरा एकादशी व्रत
1- इंदिरा एकादशी के दिन प्रातः उठकर स्नानादि के बाद सूर्य को अर्घ्य दें, और भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरुप की पूजा आराधना करें ।
2- भगवान विष्णु को पीले फूल, पंचामृत तथा तुलसी दल एवं ऋतुफल भी अर्पित करें ।
3- पूजन के बाद भगवान श्री विष्णु जी के स्वरूप का ध्यान करें और उनके बीज मंत्रों का जप करें ।
4- इंदिरा एकादशी के दिन पूर्ण रूप से जलीय आहार लें, फलाहार लेने में भी कोई दोष नहीं माना गया हैं, दोनों ही स्थिति में इसके श्रेष्ठ परिणाम मिलते है ।
5- इस दिन मन ही मन इष्ट मंत्रों का जप करें, तथा न ही तो क्रोध करें और न ही झूठ बोलें ।
इंदिरा एकादशी के दिन पितरों के लिए इतना जरूर करें, पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देंगे-
1- जब कभी श्राद्ध, श्रद्धा से न करके दबाव से किया जाता है या अयोग्य व्यक्ति के द्वारा श्राद्ध होता है तो श्राद्ध के बावजूद भी मुक्ति नहीं होती है ।
2- पितृ पक्ष इंदिरा एकादशी के दिन महाप्रयोग करके इस समस्या का निदान किया जा सकता है ।
3- इंदिरा एकादशी के दिन उड़द की दाल, उड़द के बड़े और पूरियां बनाकर पित्रों के निमित्त अर्पित करें ।
5- इस दिन श्रीमद् भगवद्गीता का पाठ करें ।
6- जरूरत मंद निर्धनों को भोजन कराएं और उनका आशीर्वाद लें ।
7- इंदिरा एकादशी के दिन पितरों के निमित्त भगवान विष्णु को फल और तुलसी दल अर्पित करें ।
8- इस दिन पितरों की याद में एक तुलसी का पौधा घर या मंदिर में जरूर लगाएं, एवं किसी सार्वजनिक स्थान पर पीपल का पौधा भी लगायें ।
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