ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में पित्रों की कृपा पाने के लिए श्राद्ध कर्म करने का ही सबसे बड़ा विधान और पुण्य होता हैं । लेकिन ऐसा कम ही लोग जानते होंगे की पितृ पक्ष में माता महालक्ष्मी की पूजा का खास प्रावधान बताया गया है, कहा जाता है नवरात्र से ठीक पहले पितृ पक्ष में लक्ष्मी की विशेष पूजा करने से नवरात्र के लगते ही व्यक्ति के जीवन में आर्थिक रूप से मजबूती आने लगती है । लेकिन पितृ पक्ष में माता लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए केवल वही लोग प्रयोग करने के अधिकारी होते हैं, जिनके ऊपर पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करने का बंधन नहीं है । यानी जो लोग श्राद्ध कर रहे हैं या पितृ पक्ष का पालन कर रहे हैं, ऐसे लोगों को ये प्रयोग भूलकर भी नहीं करना चाहिए । इस प्रयोग को पितृपक्ष की नवमी तिथि एवं पितृमोक्ष अमावस्या के दिन ही करने का विधान हैं ।
लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए पितृपक्ष की नवमी एवं अमावस्या पर करें यह प्रयोग
माता लक्ष्मी के उस स्वरूप की स्थापना करें जिसमें उनके हाथों से धन गिर रहा हो । माता लक्ष्मी जी के चित्र के सामने गाय के घी का एक बड़ा दीपक जलाएं । दीपक जलाने के बाद माता को चंदन का सुगंधित इत्र समर्पित करें । उक्त इत्र को आगामी दीपवली के दिन पड़ने वाली अमावस्या तक नियमित रूप से प्रयोग करें ।
पितृ पक्ष में ऐसा करने से लक्ष्मी जी सदैव घर में स्थाई निवास करेंगी
पूजा के लिए मां लक्ष्मी के उस स्वरूप की स्थापना करें, जिसमें उनके पास अनाज की ढेरी हो । अब चावल की एक ढेरी पर महालक्ष्मी जी के स्वरूप को स्थापित करें । गाय के घी का पंचमुखी गाय के घी का दीपक जलाएं । संभव हो तो माता लक्ष्मी को चांदी का एक सिक्का अर्पित करें । पूजा के बाद उसी चांदी के सिक्के को अपनी तिजोरी या धन के स्थान पर रख दें ।
ऐसा करने पर कारोबार में होगी धन की प्राप्ति
पूजा के लिए लक्ष्मी जी के उस स्वरूप की स्थापना करें, जिसमें दोनों तरफ उनके साथ हाथी हों । अब माता लक्ष्मी जी के सामने गाय के घी के तीन दीपक जलाएं । गुलाब का एक ताजा फूल माता लक्ष्मी को अर्पित करें । पूजा के बाद उसी गुलाब को अपने धन वाली जगह पर रख दें, रोज इस गुलाब को बदलें ।
नौकरी में प्रमोशन के लिए धन की बढ़ोत्तरी का प्रयोग-
श्री गणेश जी के साथ लक्ष्मी जी की स्थापना करें । पितृ पक्ष में श्रीगणेश जी को पीले और लक्ष्मी जी को गुलाबी फूल चढाएं । अष्टगंध माता लक्ष्मी के चरणों में अर्पित करें । नित्य प्रातः स्नान के बाद उसी अष्टगंध का तिलक लगाएं ।
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