हाथ की रेखा बता देती है किस देवता की पूजा से चमकेगा आपका भाग्य

हिन्दू धर्म में देवी देवताओं के पूजन की प्राचीन प्रथा है, और इनकी संख्या 33 कोटि बतायी गई हैं, और इन सभी का पता हमारे हाथ की रेखाओं में ही छिपा होता जिसे हम जान नहीं पाते । अगर आप अपने सोये हुए भाग्य को जगाकर जीवन में सफल होना चाहते हैं तो अपने हाथ की रेखा में छिपे अपने ईष्ट देवता की पूजा करें तो आपके भाग्य को चमकने से कोई भी नहीं रोक सकता, और अपने हाथ की रेखाओं में छिपे देवता को पता लगाने के लिए किसी ज्योतिष के पास जाने की जरूरत नहीं । इस खबर से स्वंय जाने की आपके हाथ की रेखा में आपका ईष्ट देवता कौन हैं । क्योंकि हाथ की रेखाएं बता देती हैं कि किस देवी-देवता की पूजा आपके लिए ज्यादा लाभकारी होगी ।

 

अक्सर देखने में आता है कि किसी के लिए महादेव भोले भण्डारी की पूजा काफी लाभदायक होती है तो कोई व्यक्ति राम भक्त हनुमान की अपार कृपा प्राप्त कर रहा है । उसी तरह किसी को काली मां तो किसी को शक्ति स्वरूपा दुर्गा की शक्ति प्राप्त होती है । कुछ लोग तो केवल देखा देखी ही किसी की भी पूजा करने लगते है तो कुछ यूं ही इधर उधर भटकते रहते हैं ।

 

1- यदि आपेक हाथ की हृदय रेखा पर त्रिशूल बनता हो, उंगलियां चाहे टेढ़ी-मेढ़ी हों तो ऐसे लोंगो के ईष्ट देव भगवान शिव माने जाते है और उन्हें जीवन में आने वाले कष्टों से मुक्ति के लिए शिव की आराधना करना चाहिए, एवं इस मंत्र- ऊँ नमः शिवाय का जप 108 बार करना चाहिए ।


2- यदि हृदयरेखा के अंत पर एक शाखा गुरु पर्वत पर जाती हो तो इन्हें रांम भक्त श्री हनुमान जी का पूजन करना चाहिए, जो जीवन में आने वाली विपदाओं को दूर करते है, साथ ही इस मंत्र का 108 बार जप- ऊँ नमो हनुमंता एवं हनुमान चालीसा का पाठ करने से सुख शांति मिलती है ।

 

hast rekha

3- यदि भाग्य रेखा खंडित हो व इसमें दोष हो तो ऐसे लोगों को लक्ष्मी माता का ध्यान या लक्ष्मी मंत्र का जप करना चाहिए । मात लक्ष्मी को ईष्ट मानकर इस मंत्र - ऊँ श्रीं, ह्रीं, श्रीं कमले कमलालये प्रसीद-प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं सिद्ध लक्ष्म्यै नमः । का जप करना चाहिए ।


4- यदि हाथ में सूर्य ग्रह दबा हुआ हो, व्यक्ति को शिक्षा में पूर्ण सफलता न मिल पा रही हो, मस्तिष्क रेखा खराब हो, तो सूर्य ईष्ट मानकर सूर्य मंत्र का 108 बार जप करने के बाद सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए । सूर्य मंत्र- ऊँ ह्रां, ह्रीं, ह्रौं सः सूर्याय नमः ।


5- यदि जीवन रेखा व भाग्य रेखा को कई मोटी रेखाएं काटें तो इनके जीवन में प्रत्येक व्यवसाय में रुकावट आती है तो इस रुकावट को दूर करने के लिए इस मंत्र - ऊँ श्रीं, ह्रीं, श्रीं कमले कमलालये प्रसीद-प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं सिद्ध लक्ष्म्यै नमः । का जप करना चाहिए ।


6- यदि सभी ग्रह सामान्य हों, जीवन रेखा टूटी हो तो ये जीवन में दुर्घटनाओं का ***** है । ऐसे लोगों को भगवान शिव को ईष्ट मानकर शिव स्तोत्र या ऊँ नमः शिवाय का जप नियमित करना चाहिए ।


7- यदि हृदय रेखा खंडित हो और साथ में हृदय रेखा से अनेक शाखाएं मस्तिष्क रेखा पर आ रही हों तो इन्हें मां दुर्गा का पूजन तथा दुर्गा सप्तशती का नित्य पाठ करना चाहिए । ऐसा करने से मन का विचलन शांत होता है तथा इससे उसकी निर्णय क्षमता में वृद्धि होने लगती है ।


8- यदि हृदय रेखा व मस्तिष्क रेखा एक हो या मस्तिष्क रेखा मंगल क्षेत्र तक जाती हो तो इन्हें भगवान कृष्ण का ध्यान व पूजा करनी चाहिए, साथ ही इस मंत्र- ऊँ नमोः भगवते वासुदेवाय नमः का जप 108 बार करना चाहिए । इससे व्यक्ति को संतान सुख व वंश की प्राप्ति होती है ।


9- यदि हाथ में भाग्य रेखा लंबी हो, जीवन रेखा गोल हो, हृदय रेखा सुंदर हो तो इन्हें मर्यादा पुरुषोम श्रीराम को ईष्ट मानकर पूजन करना चाहिए । ऐसे लोग राम नाम का 1100 बार जप करने से जीवन सुखमय बन जाता है ।


10- यदि हाथ में शनि की अंगुली सीधी हो, शनि ग्रह मध्य हो तो ऐसे व्यक्तियों को शनि देव की स्तुति अवश्य करनी चाहिए । नित्य शनि मंत्र का 108 बार जप करने से मनुष्य के जीवन में सुख शांति व समृद्धि आती है । शनि मंत्र - ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सह शनिश्चराय नमः ।



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