
वेद शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि में कन्या पूजन करने से व्यक्ति के जीवन की सभी समस्याएं खत्म हो जाती हैं, माँ दुर्गा भी प्रसन्न होकर भक्त की मनोकामना पूरी कर देती हैं । लेकिन जब हमे यह पता ही नहीं हो की इन दिनों किस उम्र की कन्याओं का पूजन करें, उनकों क्या भोजन कराएं और क्या दान दें, अगर बिना सही जानकारी के किसी भी उम्र की कुंवारी कन्या को कन्या मानकर पूजन कर देते है, तो आपकों नौ दिनों के व्रत उपवास का कोई भी लाभ, पुण्य या वरदान नहीं मिल सकता है । अगर मनवांक्षित फल चाहते है तो नवरात्र में केवल इस उम्र की कन्या का ही पूजन करें ।
शास्त्रों में कन्या पूजन का निर्धारण
शास्त्रों कहते है कि नवरात्रि में छोटी कन्या अव्यक्त ऊर्जा की प्रतीक है और उसकी पूजा करने से यह ऊर्जा सक्रिय हो जाती है, और इनका पूजन करने से सारे ब्रह्माण्ड की देवशक्तियों का आशीर्वाद पूजन करने वाले को मिलने लगता हैं । धर्म-ग्रंथ - रुद्र-यामल ने नवरात्र में देवी के स्वरूप के पूजन के लिये कन्याओं की आयु का विशेष निर्धारण कर रखा ।
इस उम्र की कन्या का ही करें पूजन
अगर आपने नवरात्र पर्व में उपवास रखा है और उपवास की समाप्ति पर कन्या पजून और उनकों भोजन कराने का संकल्प लिया तो है तो आपकों यह भी पता होगा की कन्या पूजन में केवल उन ही कन्याओं का पूजन करने का विधान हैं जिनकी आयु 2 साल से लेकर 7 साल की ही हो । अगर इस उम्र से ज्यादा उम्र की कन्याओं का पूजन करते हैं तो पूजन करने वाले को किसी भी प्रकार का दैविय लाभ शायद ही मिल सके ।
कन्या हो यह भोजन कराएं
नवरात्र में जब की 2 से 7 साल तक की देवी स्वरूप 5, 7 या 11 कन्याओं को केसर युक्त खीर, हलवा, पूड़ी एवं बिना लहसन, प्याज से बनी आलु या कद्दू की सब्जी ही भोजन में खिलाएं ।
कन्याओं को यह दान करें
स्वादिष्ट भोजन कराने के बाद छोटी छोटी देवी स्वरूप कन्याओं के पैरों को लाल मोहर लगाकर पूजन करने के बाद- सफेद रूमाल, लाल चुनरी, ऋतुफल, खिलौने या अन्य उनकी रूची का देने के बाद कुछ दक्षिणा भी अवश्य देकर उनके पैर पड़कर आशीर्वाद लें ।
उपरोक्त नियम के साथ कन्या पूजन करने के बाद अवश्य ही आपकी नवरात्र साधना सफल होगी हो माता रानी सभी मनोकामनाएं पूरी भी करेंगी ।
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