कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। सुहागिन महिलाओं के लिए इस व्रत का खासा महत्व होता है। इस दिन शिव परिवार की पूजा के बाद चौथ माता की कथा पढ़ने का विधान हैं। चांद को अर्घ्य दिया जाता है इसके साथ ही व्रत को खोला जाता है। वहीं इस दिन राजस्थान के सवाई माधोपुर में स्थित चौथ माता का मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। करवा चौथ के दिन यहां स्थापित चौथ माता को दुल्हन के रुप में सजाया जाता है। यहां महिलाएं सुबह से ही चौथ माता के दर्शन के लिए लाईन लगाकर कड़ी रहती हैं। गौरी मय्या के रुप में विराजमान चौथ माता यहां आए सभी भक्तों को सुख-समृद्धि व सुखमय दांपत्य जीवन का आशीर्वाद देती हैं।
सवाई माधोपुर में स्थित यह मंदिर बहुत ही प्राचीन मंदिर है और यहां सैकड़ों साल से अखण्ड ज्योति जल रही है। मंदिर में दर्शन के लिए आए भक्तों का कहना है की, यह मंदिर राजस्थान के 11 सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में शुमार है। वैसे तो यहां पर हर दिन भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन करवा चौथ पर एक अलग ही नजारा देखने को मिलता है। महिलाएं इस दिन माता से अपने पति की लंबी उम्र, संतान प्राप्ति और सुख-समृद्धि की कामना लेकर चौथ माता के दर्शन करने आती हैं। माना जाता है की इस दिन चौथ माता के दर्शन करने से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है और दांपत्य जीवन में भी सुख बढ़ता है।
राजपूताना शैली में बना है मंदिर
इस मंदिर की स्थापना 1451 में राजा भीम सिंह ने की थी। चौथ माता के दर्शन के लिए श्रद्धालु केवल राजस्थान से नहीं बल्कि देशभर से लोग आते हैं। यहां करवा चौथ, भाद्रपद चौथ, माघ चौथ और लक्खी मेला पर लाखों श्रद्धालु माता के दर्शन के दिए आते हैं। यह मंदिर राजपूताना शैली में सफेद संगमरमर का बना हुआ है। इस मंदिर में चौथ माता के साथ भगवान गणेश और भैरवनाथ की भी मूर्ति विधमान है। मंदिर तक पहुंचने के लिए 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। इस मंदिर की उंचाई लगभग 1100 फीट है।
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