
नवरात्रि की दूसरी रात होती है सबसे खास, माँ ब्रह्मचारिणी का यह मंत्र करेगा हर इच्छा पूरी
विद्यार्थी जीवन एक ऐसा स्वर्णिम समय होता हैं जहां वे एकाग्रता पूर्वक पढ़ाई के साथ-साथ आने वाले कल यानी की अपना लक्ष्य निर्धारित कर आगामी भविष्य के लिए ताना बाना बुनना भी शुरू कर देते हैं । अगर विद्यार्थी पढ़ाई के साथ अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की चाहत रखते हैं तो इसके लिए सर्वोत्तम समय नवरात्रि के नौ दिनों को जाता हैं- जिसमें नौ दिनों तक देवी माँ दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा आराधना की जाती है । नवरात्रि के ठीक दूसरे दिन की रात्रि तो माँ दुर्गा के ब्रह्मचारिणी रूप की विशेष मंत्र की साधना करने से विद्यार्थी अपनी पढ़ाई को सफलता पूर्वक पूरा कर निर्धारित लक्ष्य को भी प्राप्त कर सकता हैं । इस प्रकार करें विद्यार्थी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा आराधना ।
मां ब्रह्मचारिणी
नवरात्रि पर्व दुर्गा उत्सव के दूसरे दिन स्वरुप मां ब्रह्मचारिणी का है, माता के इस स्वरूप को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है, और छात्रों का जीवन तपस्वियों की तरह ही माना जाता है, इसलिए इनकी पूजा बहुत अधिक शुभ फलदायी होती है, ऐसे विद्यार्थी जिनका चन्द्रमा कमजोर हो, बढ़ाई में मन नहीं लगता हो, निर्धारित लक्ष्य न पाने का डर लगता हो, तो वे माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना करने से शीघ्र परिणाम दिखने लगता ।
ऐसे करें पूजा
1- नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना विद्यार्थियों के लिए सबसे उत्तम साधाना बताई गई हैं ।
2- दूसरे दिन रात को 8 बजे से 11 बजे के बीच स्नानादि से शुद्ध हो जायें । पूजा के लिए स्वयं, सफेद या पीले वस्त्र पहने । (पूजा, मंत्र जप भी इसी अवधी में करना हैं )
3- माँ दूर्गा के मंदिर में जाकर या घर के ही पूजा स्थल में माता के सामने पीले कपड़े का छोटा सा आसन बिछाएं एवं उस पर पीले चावल की ढेरी बनाकर माता के प्रतीक रूप में स्थापित करें एवं एक ओर गाय के घी का दीपक जलायें, तथा दूसरी तरफ तांबे का एक कलश भी नारियल सहित स्थापित करें ।
4- अगर गंगाजल हो तो आसपास थोड़ा सा छिड़क लें ।
5- एक कुशा का पीला आसन बिछाकर बैठ जायें ।
6- माँ ब्रह्मचारिणी को सफेद पदार्थों मिश्री, शक्कर या पंचामृत का थोड़ा सा भोग लगायें ।
7- अब विद्यार्थी अपने स्वाधिष्ठान चक्र' पर माता की प्रकाश ज्योति का ध्यान करते हुए मन में जो भी कामना हो माँ ब्रह्मचारिणी को उसे पूरा करने की प्रार्थना करें ।
8- माँ ब्रह्मचारिणी के इस लघु मंत्र "ऊं ऐं नमः" का जप कम से कम 1100 बार सफेद स्फटीक की माला या फिर तुलसी का माला से जप करें ।
9- उपरोक्त जप पूरा होने के बाद नीचे ते मंत्र का भी 108 बार जप अवश्य करें ।
मंत्र
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू ।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ॥
ऐसा करने से निश्चित ही विद्यार्थियों का सभी मनोकामनाएं पूरी माँ ब्रह्मचारिणी कर देती हैं ।
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