शास्त्रों में रूद्राक्ष को भगवान शिव का ही रूप माना जाता हैं, और ऐसी मान्यता हैं कि रूद्राक्ष को धारने करने वाले के जीवन से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं । लेकिन यह कम ही लोग जानते होंगे की आखिर रूद्राक्ष होते कितने प्रकार के हैं । श्री शिवमहापुराण में कुल सोलह प्रकार के रूद्राक्षों का वर्णन मिलता हैं, औऱ इन सभी के देवता, ग्रह, राशि एवं कार्य भी अलग अलग बतायें गये हैं । कहा जाता हैं कि इन सभी को एक साथ या फिर किसी एक को भी पहनने से व्यक्ति की किस्मत चमकने लगती हैं, जिस चीज की कामना करता हैं, उसे मिल जाती हैं । जाने रूद्राक्षों के बारे में विस्तार से ।
1- एक मुखी रुद्राक्ष- यह रुद्राक्ष शोहरत, पैसा, सफलता पाने और ध्यान करने के लिए सबसे अधिक उत्तम माना गया हैं, साथ ही यह ब्लडप्रेशर और दिल से संबंधित रोगों से भी बचाता है । इसके देवता श्री शंकर जी हैं एवं इसका ग्रह- सूर्य और राशि सिंह हैं । इस मंत्र का जप करने के बाद ही इसे धारण करना चाहिए ।
मंत्र- ।। ऊं ह्रीं नम: ।।
2- दो मुखी रुद्राक्ष- इसे आत्मविश्वास और मन की शांति के लिए धारण किया जाता हैं । इसके देवता भगवान अर्धनारिश्वर हैं, और ग्रह - चंद्रमा हैं, एवं राशि कर्क है । इस मंत्र का जप करने के बाद ही इसे धारण करना चाहिए ।
मंत्र- ।। ऊं नम: ।।
3- तीन मुखी रुद्राक्ष- इसे मन की शुद्धि और स्वस्थ जीवन के लिए पहना जाता हैं । इसके देवता अग्नि देव हैं और ग्रह - मंगल हैं एवं राशि मेष और वृश्चिक है । इस मंत्र का जप करने के बाद ही इसे धारण करना चाहिए ।
मंत्र- ।। ऊं क्लीं नम: ।।
4- चार मुखी रुद्राक्ष- इसे मानसिक क्षमता, एकाग्रता और रचनात्मकता के लिए धारण किया जाता हैं । इसके देवता ब्रह्म देव हैं, एवं ग्रह- बुध हैं और राशि मिथुन और कन्या हैं । इस मंत्र का जप करने के बाद ही इसे धारण करना चाहिए ।
मंत्र- ।। ऊं ह्रीं नम: ।।
5- पांच मुखी रुद्राक्ष- इसे ध्यान और आध्यात्मिक कार्यों के लिए पहना जाता हैं । इसके देवता भगवान कालाग्नि रुद्र हैं, एवं ग्रह- बृहस्पति हैं और राशि धनु और मीन हैं । इस मंत्र का जप करने के बाद ही एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए ।
मंत्र- ।। ऊं ह्रीं नम: ।।
6- छह मुखी रुद्राक्ष- इसे ज्ञान, बुद्धि, संचार कौशल और आत्मविश्वास के लिए पहना जाता हैं । इसके देवता भगवान कार्तिकेय हैं एवं ग्रह- शुक्र हैं और राशि तुला और वृषभ हैं । इस मंत्र का जप करने के बाद ही इसे धारण करना चाहिए ।
मंत्र : ऊं ह्रीं हूं नम:
7- सात मुखी रुद्राक्ष- इसे आर्थिक और करियर में विकास के लिए धारण किया जाता हैं । इसके देवता माता महालक्ष्मी हैं, एवं ग्रह- शनि हैं और राशि मकर और कुंभ हैं । इस मंत्र का जप करने के बाद ही इसे धारण करना चाहिए ।
मंत्र- ।। ऊं हूं नम: ।।
8- आठ मुखी रुद्राक्ष- इसे करियर में आ रही बाधाओं और मुसीबतों को दूर करने के लिए धारण किया जाता हैं । इसके देवता भगवान गणेश हैं एवं ग्रह- राहु है । इस मंत्र का जप करने के बाद ही इसे धारण करना चाहिए ।
मंत्र- ।। ऊं हूं नम: ।।
9- नौ मुखी रुद्राक्ष- इसे ऊर्जा, शक्ति, साहस और निडरता पाने के लिए पहना जाता हैं । इसके देवता मां दुर्गा हैं एवं ग्रह- केतु है । इस मंत्र का जप करने के बाद ही इसे धारण करना चाहिए ।
मंत्र- ।। ऊं ह्रीं हूं नम: ।।
10- दस मुखी रुद्राक्ष- इसे नकारात्मक शक्तियों, नज़र दोष एवं वास्तु और कानूनी मामलों से रक्षा के लिए धारण किया है । इसके देवता भगावान विष्णु जी हैं । इस मंत्र का जप करने के बाद ही इसे धारण करना चाहिए ।
मंत्र- ।। ऊं ह्रीं नम: ।।
11- ग्यारह मुखी रुद्राक्ष- इसे आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी, निर्णय लेने की क्षमता, क्रोध नियंत्रण और यात्रा के दौरान नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा पाने के लिए पहना जाता हैं । इसके देवता भगवान हनुमान जी हैं एवं ग्रह- मंगल हैं और राशि मेष और वृश्चिक हैं । इस मंत्र का जप करने के बाद ही इसे धारण करना चाहिए ।
मंत्र- ।। ऊं ह्रीं हूं नम: ।।
12- बारह मुखी रुद्राक्ष- इसे नाम, शोहरत, सफलता, प्रशासनिक कौशल और नेतृत्व करने के गुणों का विकास करने के लिए धारण किया जाता हैं । इसके देवता भगवान सूर्य देव हैं एवं ग्रह- सूर्य हैं और राशि सिंह है । इस मंत्र का जप करने के बाद ही इसे धारण करना चाहिए ।
मंत्र- ।। ऊं रों शों नम: ऊं नम: ।।
13- तेरह मुखी रुद्राक्ष- इसे आर्थिक स्थिति को मजबूत करने, आकर्षण और तेज में वृद्धि के लिए धारण किया जाता हैं । इसके देवता इंद्र देव हैं एवं ग्रह- शुक्र हैं और राशि तुला और वृषभ हैं । इस मंत्र का जप करने के बाद ही इसे धारण करना चाहिए ।
मंत्र- ।। ऊं ह्रीं नम: ।।
14- चौदह मुखी रुद्राक्ष- इसे छठी इंद्रीय जागृत कर सही निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करने के उद्देश्य से धारण किया जाता हैं । इसके देवता भगवान शिव जी हैं एवं ग्रह- शनि हैं और राशि मकर और कुंभ है । इस मंत्र का जप करने के बाद ही इसे धारण करना चाहिए ।
मंत्र- ।। ऊं नम: ।।
15- गणेश रुद्राक्ष- इसे ज्ञान, बुद्धि और एकाग्रता में वृद्धि, सभी क्षेत्रों में से सफलता के लिए धारण किया जाता हैं, एवं केतु के अशुभ प्रभावों से भी मुक्ति मिलती है । इसके देवता भगवान गणेश जी हैं । इस मंत्र का जप करने के बाद ही इसे धारण करना चाहिए ।
मंत्र- ।। ऊं श्री गणेशाय नम: ।।
16- गौरी शंकर रुद्राक्ष- इसे परिवार में सुख-शांति, विवाह में देरी, संतान नहीं होना और मानसिक शांति के लिए धारण किया जाता हैं । इसके देवता भगवान शिव-पार्वती जी हैं एवं ग्रह- चंद्रमा हैं और राशि कर्क है । इस मंत्र का जप करने के बाद ही इसे धारण करना चाहिए ।
मंत्र- ।। ऊं गौरी शंकराय नम: ।।
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