इस समाज में किसी की मौत होने पर उसका अंतिम संस्कार आधी रात को करना पड़ता है, नहीं तो...

कहा जाता हैं की पूरी दुनिया ईश्वर ने बनाई हैं, मनुष्य से लेकर मां के गर्भ से जन्म लेने वाले हर जीव चाहे फिर वे पशु पक्षी ही क्यों ना हो सबकी मृत्यु भी एक अटल सत्य है । जिसने जन्म लिया उसकी मौत भी निश्चित है । लेकिन मनुष्य समाज में मरने के बाद उसके शरीर को या तो धरती में दफना दिया जाता है या फिर अग्नि में जलाकर भस्क कर दिया जाता है, और यही परम्परा युगों युगों से चली आती है ।

 

हमने देखा है कि हमारे आस पास में जहां भी किसी की मौत होती है तो मृत व्यक्ति के शरीर का अंतिम संस्कार सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले ही करते है । लेकिन इस दुनिया में एक समाज ऐसा भी जिनके परिवार में अगर किसी सदस्य की मौत हो जाती है तो मृतक के शरीर का अंतिम संस्कार सूर्यास्त होने के बाद यानी की आधी रात को ही करना पड़ता है, अगर ऐसा नहीं किया जाये तो कहा जात है कि.... जाने आखिर क्यों होता है ऐसा, क्या है इसी असली वजह ।

 

जी हां हमारे इसी समाज में एक समाज है भी जिन्हें समाज की भलाई के लिए अपने मृत परिजनों का अंतिम संस्कार आधी रात में करना पड़ता है । किन्नरों से जुड़े तमाम बातों में लोग आज भी इस बात से अनजान हैं कि आखिर उनका अंतिम संस्कार कैसे और कब होता है । किन्नर अपने परिवार के किसी भी सदस्य की मृत्यु के बाद उसका अंतिम संस्कार आधी रात को अंधेरे में करते हैं ताकि कोई उसे देख न सके । इसके पीछे मान्यता है कि यदि कोई मृत किन्नर का अंतिम संस्कार देख ले तो वह अगले जन्म में एक बार फिर किन्नर के रूप में जन्म लेता है ।


कहा जाता है की मृतक किन्नर को अग्नि में नहीं जलाया जाता बल्कि उसे जमीन में दफनाया जाता है और इससे पहले उसे चप्पलों से पीटा जाता है । मान्यता है कि ऐसा करने से मृतक किन्नर के उस जन्म में किए सारे पापों का प्रायश्चित हो जाता है । खास बात यह है कि किसी सदस्य की मौत के बाद किन्नर समाज उसका मातम नहीं मनाता, क्योंकि वे मानते है कि मृतक किन्नर को नारकीय जीवन से मुक्ति मिल गई । मृतक को दफनाने से पहले और बाद में किन्नर बहुचरा माता की पूजा करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि अगले जन्म में वह किन्नर के रूप में किसी के घर भी जन्म ना लें ।



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