हिन्दू धर्म में शनिवार का विशेष महत्व का होता है। इस दिन शनि से पीड़ित जातक शनिदेव को खुश करने की कोशिश करते हैं। आज हम आपको ऐसे शनि मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां शनिदेव स्वयं प्रकट हुए थे। यह मंदिर मध्य प्रदेश के इंदौर में स्थित है। माना जाता है कि जूनी इंदौर स्थित प्रचीन शनि मंदिर में भगवान शनिदेव के दर्शन मात्र से ही प्रकोप दूर हो जाते हैं।
कहा जाता है कि यहां पर शनिदेव स्वयं प्रकट हुए थे। बताया जाता है कि यहां पर जो शनिदेव की प्रतिमा है, वो स्वयंभू है, उसे किसी ने बनाया नहीं है। शनि दोष को दूर करने के लिए यहां दूर-दूर से जातक यहां आते हैं और शनिदेव की पूजा करते हैं।
इस मंदिर के बारे में एक कहानी बहुत ही प्रचलित है। बताया जाता है कि करीब 300 साल पहले यहां (जहां आज मंदिर है) 20 फीट का ऊंचा टीला था। उस वक्त गोपालदास तिवारी नामक एक व्यक्ति आकर ठहरे थे। गोपालदास दृष्टिहीन थे। बावजूद इसके एक दिन शनिदेव ने उन्हें सपने में आकर आदेश दिया कि इस टीले के नीचे मेरी प्रतिमा है, उसे बाहर निकालो।
गोपालदास तिवारी का अंधत्व दूर
ऐसा सुनने पर गोपालदास ने कहा प्रभु मैं तो अंधा हूं, मैं देख कैसे सकता हूं। इस बात पर शनिदेव ने उनसे कहा कि आंखें खोलो अब तुम सब देख सकते हो। गोपालदास ने आंखे खोली तो उनका अंधत्व दूर हो चुका था। वे इस दुनिया को देख सकते थे। उनका अंधत्व दूर होने से अन्य लोगों को भी उनकी बातों पर यकीन हो गया। इसके बाद जनसहयोग से उस टीले का खोदकर वह प्रतिमा निकाली गई और आज वह प्रतिमा मंदिर में स्थापित है। आज भी इस मंदिर के पूजारी गोपालदास तिवारी के परिवार के लोग ही हैं।
अपने आप ही खिसक गई थी शनिदेव की प्रतिमा
इस मंदिर के बारे में एक और चमत्कार प्रसिद्ध है कि वर्तमान में जहां भगवान राम की प्रतिमा स्थापित है, वहां पहले शनिदेव की प्रतिमा स्थापित किया गया था। लेकिन एक दिन अचानक शनिदेव की प्रतिमा खिसक कर वहां आ गई, जहां वर्तमान में स्थापित है। तभी से भक्तों में शनिदेव का आदेश समझकर उसी स्थान पर उनकी पूजा-अर्चना शुरू कर दी। यहां हर साल शनि अमावस्या के दिन से भव्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते है।
अन्य शनि मंदिरों से है अलग
इंदौर के जूनी इंदौर इलाके में बना यह मंदिर शनि देव के बाकि मंदिरों से अलग है क्योंकि यहां पर भगवान शनि का 16 श्रृंगार किया जाता है। शनि देव के लगभग सभी मंदिरों में उनकी प्रतिमा काले पत्थर की बनी होती है जिन पर कोई श्रृंगार नहीं होता। यह एक ऐसा मंदिर है जहां शनि देव का आकर्षक श्रृंगार किया जाता है। यहां शनिदेव को शाही कपड़े भी पहनाए जाते हैं।
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