हर परेशानी हो जायेगी दूर, इन 5 में से कर लें कोई भी एक काम

अगर आपके जीवन को कोई परेशानी या समस्या हो तो यहां वहां भटकने के बजाय इन 5 देवताओं में से किसी एक की भी शरण में जाकर उनकी कृपा से अपनी सभी परेशानी को दूर कर सकते हो। जानें आखिर ये पांच देवी देवता है कौन और कैसे करे इनकी पूजा।

 

संसार में देवपूजा को स्थायी रखने के उद्देश्य से वेदव्यासजी ने विभिन्न देवताओं के लिए अलग-अलग पुराणों की रचना की। अत: मनुष्य अपनी रुचि के अनुसार किसी भी देव को अपना आराध्य मानकर पूजा कर सकता है। उपासना एक ब्रह्म की ही होती है क्योंकि पंचदेव ब्रह्म के ही प्रतिरुप (साकार रूप) है, और भक्तों को मनवांछित फल भी देते हैं। न तो कोई बड़ा है और न कोई छोटा परमात्मा तो केवल एक ही है।

 

निराकार ब्रह्म के साकार रूप हैं पंचदेव
परब्रह्म परमात्मा निराकार व अशरीरी है, अत: साधारण मनुष्यों के लिए उसके स्वरूप का ज्ञान असंभव है। इसलिए निराकार ब्रह्म ने अपने साकार रूप में पांच देवों को उपासना के लिए निश्चित किया जिन्हें पंचदेव कहते हैं। ये पंचदेव हैं—विष्णु, शिव, गणेश, सूर्य और शक्ति। सूर्य, गणेश, देवी, रुद्र और विष्णु—ये पांच देव सब कामों में पूजने योग्य है, जो श्रद्धा विश्वास के साथ इनकी आराधना करते हैं वे कभी हीन नहीं होते, उनके यश-पुण्य और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। वेद-पुराणों में पंचदेवों की उपासना को महाफलदायी और आवश्यक बताया गया है, इनकी सेवा से ‘परब्रह्म परमात्मा’ की उपासना हो जाती है ।

 

ये भी पढें- खुदाई में निकले इस शिवलिंग से अपने आप निकल रही गंगा की जलधारा, चमत्कार के आगे विज्ञान ने टेके घुटने

 

अन्य देवों की अपेक्षा पंचदेवों को प्रधानता के दो कारण

पंचदेव पंचभूतों के अधिष्ठाता (स्वामी) है

 

पंचदेव- 1- आकाश, 2- वायु, 3- अग्नि, 4-जल और 5- पृथ्वी आदि, और इन पंचभूतों के अधिपति है-

1- सूर्य देव वायु तत्त्व के अधिपति हैं इसलिए उनकी अर्घ्य और नमस्कार द्वारा आराधना की जाती है।

2- गणेशजी जल तत्त्व के अधिपति होने के कारण उनकी सर्वप्रथम पूजा करने का विधान हैं, क्योंकि सृष्टि के आदि में सर्वत्र ‘जल’ तत्त्व ही था।

3- शक्ति (देवी, जगदम्बा) अग्नि तत्त्व की अधिपति है, इसलिए भगवती देवी की अग्निकुण्ड में हवन के द्वारा पूजा करने का विधान है।

5- शिवजी पृथ्वी तत्त्व के अधिपति है इसलिए उनकी शिवलिंग के रुप में पार्थिव-पूजा करने का विधान है।

6- विष्णु आकाश तत्त्व के अधिपति है इसलिए उनकी शब्दों द्वारा स्तुति करने का विधान है।

panch dev puja

अन्य देवों की अपेक्षा इन पंचदेवों के नाम के अर्थ भी ऐसे है कि जो इनके ब्रह्म होने के बारे में पता चलता है।

1- विष्णुजी अर्थात् सबमें व्याप्त
2- शिवजी यानी कल्याणकारी
3- गणेशजी अर्थात् विश्व के सभी गणों के स्वामी
4- सूर्य अर्थात् सर्वगत (सर्वत्र व्याप्त)
5- शक्ति अर्थात् सामर्थ्य

 


पंचदेव और उनके उपासक
1- विष्णु के उपासक ‘वैष्णव’ कहलाते हैं।
2- शिव के उपासक ‘शैव’ के नाम से जाने जाते हैं।
3- गणपति के उपासक ‘गाणपत्य’ कहलाते हैं।
4- सूर्य के उपासक ‘सौर’ होते हैं।
5- शक्ति के उपासक ‘शाक्त’ कहलाते हैं।

देवता चाहे एक हो या अनेक उपासना ‘पंचदेवों’ की ही प्रसिद्ध है। इन सबमें गणेश का पूजन अनिवार्य है। यदि अज्ञानवश गणेश का पूजन न किया जाए तो विघ्नराज गणेशजी उसकी पूजा का पूरा फल हर लेते हैं।

 

ये भी पढ़े- ज्येष्ठ कृष्ण गणेश चतुर्थी बुधवार 22 मई, ऐसे करेंगे विघ्नहर्ता हर इच्छा पूरी



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal http://bit.ly/2JwRfwL
Previous
Next Post »