प्रतिदिन दिन में एक समय ऐसा होता जिसमें भूलकर भी किसी भी तरह के कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए, अन्यथा उनका सफल परिणाम न के बराबर मिलता है। इस समय को राहुकाल कहा जाता है। राहुकाल के बारे में सुना तो है, पर आज जानें आखिर क्या होता राहुकाल और इसमें शुभ कार्य करने से क्यों मिलती है असफलता।
कुछ लोगों को यह कहते सुना जाता है कि हम किसी भी कार्य को पूरी मेहनत और ऊर्जा के साथ करने पर भी उसमे सफलता नही नुल पाती। ज्योतिष के अनुसार यह सब इसलिए होता कि उक्त कार्य को शुभ मुहूर्त में नही किया गया या फिर वह काम राहुकाल में किया गया हो। राहुकाल में किए गए कार्यों में हमेशा असफलता ही प्राप्त होती है और उन कार्यों के विपरित परिणाम मिलते है।
इसलिए वर्जित हैं राहुकाल में शुभकार्य करना
राहुकाल का समय क्रूर ग्रह राहु के नाम से है जो एक पाप ग्रह माना गया है। इसलिए राहुकाल में जो भी कार्य किये जाते है वे कार्य पाप ग्रस्त होकर असफल हो जाते हैं। इसलिए भूलकर भी राहुकाल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करने की सलाह ज्योतिष शास्त्र में दी गई।
ज्योतिषिय गणना के अनुसार यह काल कभी सुबह, कभी दोपहर तो कभी शाम के समय आता है। लेकिन हमेशा सूर्योदय से पूर्व ही पड़ता है। राहुकाल की अवधि दिन (सूर्योदय से सूर्यास्त तक के समय) के आठवें भाग के बराबर होती है। यानि की राहुकाल का समय कुल डेढ़ घंटा का होता है।
दिन के अनुसारऐसा होता है राहू काल
1- रविवार के दिन शाम 4 बजकर 30 से 6 बजे तक।
2- सोमवार के दिन दूसरा भाग यानि की सुबह 7 बजकर 30 मिनट से सुबह 9 बजे तक।
3- मंगलवार के दिन दोपहर 3 बजे से शाम 4 बजकर 30 मिनट तक।
4- बुधवार के दिन दोपहर 12 बजे से 1 बजकर 30 मिनट तक।
5- गुरुवार के दिन दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से 3 बजे तक का समय यानि की दिन का छठा भाग राहुकाल होता है।
6- शुक्रवार के दिन चौथा भाग यानि की सुबह 10 बजकर 30 मिनट से दोपहर 12 बजे तक का समय राहुकाल होता है।
7- शनिवार के दिन सुबह 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक का समय राहुकाल होता है।
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