न्यायदाता, कर्मफल, विधाता, शनिदेव शरण ग्रहण करते ही अपने भक्तों को कष्ट से अतिशीघ्र मुक्त करते हैं। जब शनि की साढ़ेसाती लगती है और जीवन में अचानक हानि का दौर प्रारंभ होता है
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