हर साल सावन के महीने को सभी शिव भक्त एक त्यौहार की तरह मनाते हैं और तरह-तरह से देवाधिदेव महादेव का पूजन अर्चन कर उनकी कृपा से मनवांछित फल प्राप्त भी करते हैं। वैसे तो सावन के अलावा भी शिव को बेलपत्र अर्पित किए जाते हैं, लेकिन सावन मास की बात ही कुछ और है, अगर सावन में ऐसे और इस विधि से शिवजी को बेलपत्र अर्पित किए जाएं तो प्रसन्न होकर महादेव भक्त जिस चीज की कामना करता है उसकी इच्छा पूरी कर देते हैं।
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शास्त्रों में उल्लेख आता है कि भगवान शिव के पूजन में बेलपत्र शिवजी को अर्पित की जाने वाली सबसे प्रिय वस्तु है, शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने से शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं महादेव। मान्यता है कि शिव की उपासना बिना बेलपत्र के पूरी नहीं होती, अगर आप भी देवों के देव महादेव की विशेष कृपा पाना चाहते हैं तो सावन मास में बेलपत्र को ऐसे अर्पित करें।
बेलपत्र का महत्व
बेल के पेड़ की पत्तियों को बेलपत्र कहते हैं, बेलपत्र में तीन पत्तियां एक साथ जुड़ी होती हैं लेकिन इन्हें एक ही पत्ती माना जाता है। भगवान शिव की पूजा बेलपत्र के बिना पूरी नहीं मानी जाती।
जब शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करें तो इन बातों का ध्यान ज़रूर रखें।
1- एक बेलपत्र में तीन पत्तियां होनी चाहिए।
2- पत्तियां कटी या टूटी हुई न हों और न ही उनमें कोई छेद हो।
3- भगवान शिव को बेलपत्र चिकनी ओर से नहीं अर्पित करें।
4- एक ही बेलपत्र को जल से धोकर बार-बार भी चढ़ाया जा सकता है।
5- एक साथ में ढेर सारी यानी की एकट्ठी बेलपत्र ना चढ़ावें।
6- हमेशा एक एक करके "ऊँ नमः शिवाय" मंत्र का उच्चारण करते हुए ही बेलपत्र अर्पित करें।
7- 1, 5, 7, 11, 21, 51 या 108 की संख्या में ही बेलपत्र शिवलिंग पर अर्पित करें।
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बेलपत्र के अन्य लाभ
1- बेलपत्र का केवल दैवीय प्रयोग ही नहीं, इससे अनेक रोग भी ठीक हो जाते हैं।
2- बेलपत्र तमाम औषधियों में भी काम आता है, इसे खाने से सेहत से जुड़ी तमाम समस्याएं चुटकियों में हल होती है।
3- बेलपत्र का रस आंख में डालने से आंखों की ज्योति बढ़ती है।
4- बेलपत्र का काढ़ा शहद में मिलाकर पीने से खांसी से राहत मिलती है।
5- सुबह 11 बेलपत्रों का रस पीने से पुराना सिरदर्द भी ठीक हो जाता है।
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