शिव तांडव स्तोत्र - जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्। डमड्डमड्डमड्डमनिनादवड्डमर्वयं चकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम ॥1॥
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शिव तांडव स्तोत्र : श्रावण मास में शुभ फल देता है रावण द्वारा रचित यह चमत्कारी स्तोत्र
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