
सूर्य ग्रहण के बाद अब 16 जुलाई की साल का दूसरा चंद्र ग्रहण ( chandra grahan 2019 ) पड़ने वाला है। इस दिन आषाढ़ मास की पूर्णिमा है। इसलिए इसका बहुत असर सभी पड़ेगा। खग्रास चंद्र गहण ( chandra grahan ) का नजारा आकाश में करीब तीन घंटे तक नज़र आएगा। 16 जुलाई की दरमियानी रात 1.32 बजे ग्रहण का स्पर्श होगा। वहीं रात को 4.30 बजे ग्रहण समाप्त हो जाएगा। कुल मिलाकर चंद्र ग्रहण ( lunar sclipse 2019 ) का पूरा समय 2 घंटे 58 मिनट का रहेगा। पंडित रमाकांत मिश्रा के अनुसार इस चंद्र ग्रहण का प्रभाव सभी जीव-जंतुओं सहीत भगवान पर भी पड़ेगा। जी हां, दरअसल उज्जैन के महाकाल मंदिर सहित अन्य तीर्थस्थानों पर भी आरती व पूजा के समय पर इस ग्रहण का असर पड़ेगा। क्योंकि तड़के चार बजे कई मंदिरों व तीर्थस्थानों पर आरती व पूजा की जाती है, जो की ग्रहण के कारण अपने समय से देरी से होगी।
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क्या होता है सूतक
सूतक समय को शास्त्रों में अशुभ मुहूर्त का समय माना जाता है। यदि हम साधारण शब्दों में बताएं तो इस समय में कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते और ना ही भगवान की पूजा होती है, ना ही देव दर्शन किए जाते हैं। धार्मिक नियमों के अनुसार सूर्य ग्रहण के 12 घंटे से पूर्व ही सूतक लग जाता है इस कारण ही मंदिरों के पट भी बंद कर दिए जाते है। यह ग्रहण समाप्ति के मोक्ष काल के बाद स्नान धर्म स्थलों को फिर से पवित्र करने की क्रिया के बाद ही समाप्त होता है।

ग्रहणकाल में ना करें ये काम
1. ग्रहण काल के समय या उसके मध्य समय में भोजन ग्रहण करना, भोजन पकाना, शयन, मल-मूत्र त्याग, रतिक्रियाएं व सजने संवरने से संबन्धित कार्य नहीं करने चाहिए।
2. मान्यताओं के अनुसार ग्रहण काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को सब्जी काटना, कपड़े सीना व पिरोना आदि से बचना चाहिए, नहीं तो जन्म लेने वाले बालक में शारीरिक दोष होने की संभावना रहती है।
3. ग्रहण के समय घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए तथा ग्रहण दर्शन तो भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
4. ग्रहण के सूतक के नियमों का विचार गर्भवती महिलाओं, रोगी, बालकों और वृद्धों के लिए नहीं होता है।
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