इन उपायों से आपके घर में भी शीघ्र बज सकती है शहनाई

पहले कभी कम उम्र में ही हो जाने वाली शादियां अब एक निश्चित उम्र में होतीं हैं, इसको लेकर सरकार की ओर से बालिग होने के नियम भी बनाए गए हैं। जो ठीक भी हैं, लेकिन कई बार बालिग होने के बावजूद घर वालों को अपने बच्चों के लिए वर या वधु नहीं मिलती या यूं कहें कि उनके बच्चों की शादी ही नहीं हो पाती कभी कहीं कुंडली मिल भी जाए तो तमाम प्रकार के दोष के चलते रिश्ता बनने से पहले ही तोड़ना पड़ जाता है।

इसके चलते कई परिवारों में एक लंबी उम्र तक उनके बच्चे अविवाहित रह जाते हैं, यहां तक की कई बार तो शादी ही नहीं होती है। ऐसे में परिवार का मुखिया हो या उसकी पत्नी हमेशा ही इन कारणों के चलते तनाव में रहते हैं। ऐसे में चाहे घर का बेटा हो या बेटी दोनों के ही भविष्य को लेकर मां बाप परेशान रहने लगते हैं।

वहीं भारतीय समाज में तो बच्चियों को लेकर ज्यादा ही चिंता रहती है, यदि किसी की बेटी का एक उम्र तक विवाह नहीं हो तो कई बार आस-पड़ोस के लोग तक ताने देने लगते हैं।

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जानकारों का भी मानना है कि एक आयु के साथ विवाह संबंधों का आना भी कम हो जाता है जिससे पूरा परिवार चिंतित रहता है। ऐसा नहीं है कि केवल युवती की शादी में ही परेशानियां आती है, कई बार युवकों का भी तमाम कोशिशों के बावजूद विवाह नहीं हो पाता। ऐसे में आज हम आपको युवक व युवती दोनों विवाह में हो रही परेशानियों से कैसे निजाद पा सकते हैं, इसके बारे में बता रहे हैं।

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार यदि आपके घर में भी विवाह को लेकर किसी भी प्रकार की देरी हो रही हो, तो इसके निदान के कई उपाय हैं। पंडित शर्मा के अनुसार ये उपाय आपके कार्य को पूर्ण करने में सहायक होंगे। इसके तहत युवती और युवक के लिए अलग अलग उपाय हैं। जो इस प्रकार हैं...

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पंडित सुनील शर्मा के अनुसार चुकिं आगामी चंद दिनों में चैत्र नवरात्रि आनी है तो पहला उपाय युवती के लिए इन्हीं नवदुर्गा में छिपा हुआ है, इसके अनुसार...

नवरात्रि की छठवीं माता: कात्यायनी माता की अराधना :
विवाह नहीं होने की स्थिति में या किसी तरह की रुकावट आने पर मां कात्यायनी की आराधना भी इस परेशानी से निजाद दिलाती है।
इसके तहत माता कात्यायनी की आराधना करने के लिए प्रात:काल स्नानादि के बाद माता के इस मंत्र से जाप का संकल्प लें...

मंत्र : कात्यायनी महामये महायोगिन्यधीश्वरी
नंद गोप सुतं देहि पतिं में कुरुते नम:।।

माता के मंत जाप के लिए 1माला, 5 माला या 10 माला प्रतिदिन एक समान गिनती में जाप करें। मंत्र की संख्या 1 लाख 8 हजार या कार्य पूर्ण होने तक अपनी सामथ्रर्यनुसार संकल्प कर सकते हैं। संकल्पित मंत्र संख्या पूर्ण होने के बाद या विवाह के बाद यज्ञ(हवन) द्वारा मंत्र जाप का उद्यापन करें।

( सबसे जरूरी: इन सभी उपायों के दौरान इस बात का खास ध्यान रखें कि ये पूरी श्रृद्धा और विश्वास के साथ किए जाएं। )

युवती के लिए : ये हैं अचूक उपाय:-

1. माता वैभव लक्ष्मी की आराधना...
इसके तहत माता वैभवलक्ष्मी के 5,7 या 11 शुक्रवार के व्रत का संकल्प लें। इन तीन संख्याओं में से आप किसी भी इच्छित संख्या का संकल्प ले सकती हैं।

इसके बाद पूरी श्रृद्धा और विश्वास के साथ इन व्रतों को करें। व्रत पूर्ण हो जाने पर व्रत का उद्यापन करें। इसमें भी 5,7 या 11 सुहागन स्त्रियों या कन्याओं को भोजन कराएं और वैभवलक्ष्मी की पुस्तकें बांटे साथ ही सुहागन स्त्रियों को सुहाग सामग्री का दान करें।

2. गौरा माता की अराधना...
विवाह में आ रही बाधा को दूर करने के लिए एक अन्य अचूक उपाय गौरा (गौरी) माता की आराधना करना है। इसके तहत गौरी माता की अराधना का विवरण रामायण में भी मिलता है। माता सीता ने विवाह से पूर्व गौरा माता की अराधना कर श्रीराम जी को वर रूप में प्राप्त किया था।

ऐसे करें गौरा माता की अराधना-

इस आराधना के लिए प्रात:काल स्नान कर गौरी माता के चित्र को सामने रखकर रामचरित मानस के बालकांड में से ये चौपाई छंद का नित्य पाठ करें। 51 दिन तक इसका पाठ करना उचित माना जाता है।

''जय जय गिरिबरराज किसोरी। जय महेस मुख चंद चकोरी॥
जय गजबदन षडानन माता। जगत जननि दामिनि दुति गाता॥

नहिं तव आदि मध्य अवसाना। अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना॥
भव भव बिभव पराभव कारिनि। बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि॥

पतिदेवता सुतीय महुँ मातु प्रथम तव रेख।
महिमा अमित न सकहिं कहि सहस सारदा सेष॥

सेवत तोहि सुलभ फल चारी। बरदायनी पुरारि पिआरी॥
देबि पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे॥


मोर मनोरथु जानहु नीकें। बसहु सदा उर पुर सबही कें॥
कीन्हेउँ प्रगट न कारन तेहीं। अस-कहि चरन गहे बैदेहीं॥

बिनय प्रेम बस भई भवानी। खसी माल मूरति मुसुकानी॥
सादर सियँ प्रसादु सिर धरेऊ। बोली गौरि हरषु हियँ भरेऊ॥

सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी॥
नारद बचन सदा सुचि साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा॥4॥

छन्द :
- मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर साँवरो।
करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो॥
एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय सहित हियँ हरषीं अली।
तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली॥


सोरठा :
- जानि गौरि अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे॥236॥

( भावार्थ:- हे श्रेष्ठ पर्वतों के राजा हिमाचल की पुत्री पार्वती! आपकी जय हो, जय हो, हे महादेवजी के मुख रूपी चन्द्रमा की (ओर टकटकी लगाकर देखने वाली) चकोरी! आपकी जय हो, हे हाथी के मुख वाले गणेशजी और छह मुख वाले स्वामिकार्तिकजी की माता! हे जगज्जननी! हे बिजली की सी कान्तियुक्त शरीर वाली! आपकी जय हो!

:- आपका न आदि है, न मध्य है और न अंत है। आपके असीम प्रभाव को वेद भी नहीं जानते। आप संसार को उत्पन्न, पालन और नाश करने वाली हैं। विश्व को मोहित करने वाली और स्वतंत्र रूप से विहार करने वाली हैं।
:- पति को इष्टदेव मानने वाली श्रेष्ठ नारियों में हे माता! आपकी प्रथम गणना है। आपकी अपार महिमा को हजारों सरस्वती और शेषजी भी नहीं कह सकते ।
:- हे (भक्तों को मुंहमांगा) वर देने वाली! हे त्रिपुर के शत्रु शिवजी की प्रिय पत्नी! आपकी सेवा करने से चारों फल सुलभ हो जाते हैं। हे देवी! आपके चरण कमलों की पूजा करके देवता, मनुष्य और मुनि सभी सुखी हो जाते हैं।
:- मेरे मनोरथ को आप भलीभांति जानती हैं, क्योंकि आप सदा सबके हृदय रूपी नगरी में निवास करती हैं। इसी कारण मैंने उसको प्रकट नहीं किया। ऐसा कहकर जानकीजी ने उनके चरण पकड़ लिए।
:- गिरिजाजी सीताजी के विनय और प्रेम के वश में हो गईं। उन (के गले) की माला खिसक पड़ी और मूर्ति मुस्कुराई। सीताजी ने आदरपूर्वक उस प्रसाद (माला) को सिर पर धारण किया।

गौरीजी का हृदय हर्ष से भर गया और वे बोलीं
हे सीता! हमारी सच्ची आसीस सुनो, तुम्हारी मनःकामना पूरी होगी। नारदजी का वचन सदा पवित्र (संशय, भ्रम आदि दोषों से रहित) और सत्य है। जिसमें तुम्हारा मन अनुरक्त हो गया है, वही वर तुमको मिलेगा।

:-जिसमें तुम्हारा मन अनुरक्त हो गया है, वही स्वभाव से ही सुंदर साँवला वर (श्री रामचन्द्रजी) तुमको मिलेगा। वह दया का खजाना और सुजान (सर्वज्ञ) है, तुम्हारे शील और स्नेह को जानता है। इस प्रकार श्री गौरीजी का आशीर्वाद सुनकर जानकीजी समेत सब सखियां हृदय में हर्षित हुईं। तुलसीदासजी कहते हैं- भवानीजी को बार-बार पूजकर सीताजी प्रसन्न मन से राजमहल को लौट चलीं॥)


3. वहीं विवाह मे हो रही देरी के संबंध में एक और उपाय खास माना जाता है। इसके तहत माता पार्वति का पूजन कर भी उत्तम वर की प्राप्ति की जा सकती है। सवा माह तक जाप करें।

मंत्र: हे गौरी शंकरार्धागिनी यथा त्वमं शंकर प्रिया तथा माम कुरू कल्याणीकान्त कान्ता सुदुर्लभम्।।

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युवकों के लिए : ये हैं खास उपाय :-
1. पुरुषों के विवाह में आ रही बाधा दूर करने का सबसे खास उपाय मां दुर्गा की आराधना करना है।
इसके तहत प्रात:काल स्नानादि करके शुद्ध तन व शुद्ध मन से दुर्गासप्तशती में दिए इस श्लोक का रुद्राक्ष की माला से जाप करें।

मंत्र: पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम्।
तारिणींदुर्गसं सारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥

युवक युवती दोनों के लिए : ये हैं अन्य उपाय...

- शीघ्र विवाह के लिए मंत्र : तुलसी की माला से रामचरित मानस की निम्न चौपाई का राम सीता के चित्र के सामने 108 बार नित्य पाठ करना शीघ्र विवाह के लिए दिव्य प्रयोग माना जाता है।

सुनि सिय सत्य असीस हमारी
पूजिहि मन कामना तिहारी

- यदि विवाह मे बहुत विलंब हो रहा हो तो मंदिर के प्रांगण में अनार का वृक्ष लगाएं व रोज उसे जल से सीचें।
कच्चा दूध व जल मिला कर प्रतिदिन शिवलिंग पर चढ़ाएं।
प्रतिदिन गाय को चारा या हरा पालक खिलाएं।
उत्तम रिश्ते आने लगेंगे।

- यदि कन्या की शादी में कोई रूकावट आ रही हो तो पूजा वाले 5 नारियल लें ,
भगवान शिव के आगे रख कर “ ॐ श्रीं वर प्रदाय श्री नमः ” मंत्र का पांच माला जाप करें।
जप के उपरांत पांचों नारियल शिव जी के मंदिर में चढा दें ,विवाह की बाधायें अपने आप दूर होती जायेंगी।

- शीघ्र विवाह के लिए कन्या को 16 सोमवार का व्रत करना चाहिए तथा प्रत्येक सोमवार को शिव मन्दिर में जाकर जलाभिषेक करें,
माँ पार्वती का श्रृंगार करें,
शिव पार्वती के मध्य गठजोड़ बांधे और शीघ्र विवाह के लिए प्रार्थना करें।
उत्तम विवाह प्रस्ताव आने प्रारम्भ हो जाएंगें।

- वर की कामना पूर्ति के लिए कन्या को निम्न मंत्र का शिव-गौरी पूजनकर एक माला का जप करना चाहिए।
’’ ॐ नमः मनोभिलाषितं वरं देहि वरं ह्रीं ॐ गोरा पार्वती देव्यै नमः ’’

- रामचरित मानस के बालकाण्ड में शिव पार्वती विवाह प्रकरण का नित्य पाठ करने से कन्या का विवाह शीघ्र होता देखा गया है।

- विवाह अभिलाषी लड़का या लड़की शुक्रवार के दिन भगवान शंकर पर जलाभिषेक करें तथा शिवलिंग पर ’’ ॐ नमः शिवाय ’’ बोलते हुए 108 श्वेतार्क पुष्प चढ़ावें ,
शीघ्र विवाह की प्रार्थना करें साथ ही शंकर जी पर 21 बिल्व पत्र चढ़ावें...

यह कम से कम 7 शुक्रवार करें, शीघ्र ही विवाह के प्रस्ताव आने प्रारम्भ हो जायेगें।

ये होते हैं कारण..
सही आयु में और सही समय पर सही व्यक्ति के साथ विवाह हो जाना अपने आप मे एक बहुत बड़ा सौभाग्य माना जाता है। वहीं विवाह में विलंब के मुख्य कारण कही कुंडली नहीं मिलना, तो कहीं मन व विचार नहीं मिलना या दहेज की समस्या आड़े आना रहता है।

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार ज्योतिषशास्त्र में ग्रहों की अशुभ स्थिति को इनका प्रमुख कारण माना जाता है, जिनका निदान ग्रहों के उपाय यानि जप, पूजा, दान, व्रत व अन्य वैदिक अनुष्ठान के माध्यम से स्वयं कर व किसी योग्य कर्मकांडी से भी करा सकते हैं।

भारतीय ज्योतिष में नौ ग्रहों में से सूर्य, मंगल,शनि, राहु, और केतु का प्रभाव अधिक माना गया है। इन में मंगल,राहु व शनि विशेष रुकावटें उत्पन्न करते हैं।



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