शनिदेव आज भी चलते हैं मंद गति से, ये है इसका कारण!

न्याय के देवता शनिदेव के संबंध में माना जाता है कि एक ओर जहां उनकी चाल बहुत मंद है, वहीं वे कहीं भी आने से पहले ही आना असर दिखाना शुरू कर देते हैं यानि वे आने से पहले ही अपने आने का इशारा करना शुरू कर देते हैं।

वैसे तो आपने भी शन‍िदेव के मंद‍ गत‍ि से चलने के बारे में आपने बहुत सारी कहान‍ियां पढ़ी होंगी। लेकिन क्या आप इसके पीछे की वो कहानी जानते हैं जिसके कारण शनि देव की गति में इतनी कमी आई। दरअसल माना जाता है कि उनकी मंद गति के पीछे उनके पैर से जुड़ी एक द‍िक्‍कत है। जिसके बारे में काफी कम लोग ही जाने हैं।

दरअसल मान्यता के अनुसार यह पूरी घटना तमिलनाडु के पेरावोरानी के पास तंजावुर विलनकुलम स्‍थाप‍ित अक्षयपुरीश्‍वर मंदिर से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि यहीं वह ऐतिहासिक मंदिर है जहां वह घटना हुई थी, जिसके कारण शनिदेव की गति बाधित हुई।

जानकारों के अनुसार यहां स्थापित यह मंदिर 700 साल पुराना माना जाता है। यहां दूर-दूर से दर्शनार्थी शन‍िदेव की कृपा प्राप्‍त करने आते हैं। ऐसे समझें मंदिर का इतिहास और शन‍िदेव के पैर से इसका नाता...

तमिलनाडु के पेरावोरानी के पास तंजावूर के विलनकुलम में अक्षयपुरीश्वर मंदिर से भगवान शनिदेव के पैर टूटने की घटना इसी मंद‍िर से जुड़ी हुई है। पौराणिक कथा के अनुसार यहां पहले बहुत सारे बिल्व वृक्ष थे। तमिल शब्द विलम का अर्थ बिल्व होता है और कुलम का अर्थ झूंड होता है। यानी यहां बहुत सारे बिल्ववृक्ष होने से इस स्थान का नाम विलमकूलम पड़ा।

यहां बहुत सारे बिल्व वृक्ष होने से उनकी जड़ों में शनिदेव का पैर उलझ गया और वो यहां गिर गए थे। जिससे उनके पैर में चोट आई। अपने इस रोग को दूर करने के लिए उन्होंने यहां भगवान शिव की पूजा की। शिवजी ने प्रकट होकर उन्हें विवाह और पैर ठीक होने का आशीर्वाद दिया।

इसके बाद से इन परेशानियों से जुड़े लोग यहां विशेष पूजा करवाते हैं। बता दें क‍ि इस मंदिर में शारीरिक व्‍याध‍ि से परेशान और साढ़ेसाती में पैदा हुए लोग शनिदेव की विशेष पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं। इसके अलावा दांपत्‍य जीवन से परेशान लोग यहां विशेष अनुष्ठान करवाते हैं। शनिदेव अंक 8 के स्वामी भी हैं इसलिए यहां 8 वस्तुओं के साथ 8 बार पूजा करके बांए से दाई ओर 8 बार परिक्रमा की जाती है।

अक्षयपुरीश्वर मंदिर के प्रमुख भोलेनाथ और देवी पार्वती है। इनके साथ ही मंद‍िर में शनिदेव की पूजा उनकी पत्नियों मंदा और ज्येष्ठा के साथ की जाती है।

तमिलनाडु के विलनकुलम में स्‍थापित अक्षयपुरीश्वर मंदिर तमिल वास्तुकला के अनुसार बना है। माना जाता है कि इसे चोल शासक पराक्र पंड्यान ने बनवाया था। जो 1335 ईस्वी से 1365 ईस्वी के बीच बना है। इस मंदिर के प्रमुख देवता भगवान शिव हैं। उन्हें ही श्री अक्षयपुरीश्वर कहा जाता है। उनके साथ उनकी शक्ति यानी माता पार्वती की पूजा श्रीअभिवृद्धि नायकी के रूप में की जाती है।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/2BHkJFx
Previous
Next Post »