एक ऐसा देवी मंदिर: जहां एक धागे से पूर्ण होती है हर मनोकामना

वैसे तो आपने देश में कई देवी मां के मंदिर देखें होंगे, इनमें से जहां कई मंदिरों में होने वाले चमत्कारों के बारे में सुना होगा, तो वहीं कुछ इन मंदिरों में होने वाले चमत्कारों को आपने देखा भी होगा।

देवी मां के इन्हीं मंदिरों में से एक मंदिर ऐसा भी है जिसके संबंध में मान्यता है कि इस मंदिर के प्रांगण में स्थित पेड की शाखा पर भक्त अपनी इच्छा पूरी करने के लिए एक पवित्र धागा बांधते हैं। जिनसे उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है।

जी हां, हम बात कर रहे हैं हरिद्वार के शिवालिक पर्वतमाला पर बिलवा नामक पहाड़ी पर बने मां मनसा देवी के प्रसिद्ध मंदिर की। मनसा का अर्थ इच्छा से होता है और माना जाता है की देवी उनके भक्तो की मनोकामनाओ को पूरी करतीं हैं। इस मंदिर में देवी की दो मूर्तियां हैं। एक मूर्ति की पांच भुजाएं और तीन मुंह हैं। जबकि दूसरी मूर्ति की आठ भुजाएं हैं। यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है।

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हरिद्वार के ‘चंडी देवी’ और ‘माया देवी’ के साथ ‘मनसा देवी’ को भी सिद्ध पीठों में प्रमुख माना जाता है। मनसा देवी को शाक्ति का एक रूप माना जाता है। नवरात्र पर्व शुरू होते ही यहां सुबह से शाम तक भक्तों भी लंबी कतार लगने लगती है। शाम के समय माता की भव्य आरती देखने के लिए भी भक्तों की भारी भीड़ रहती है।

यह मंदिर मां मनसा देवी को समर्पित है, जिन्हें वासुकी नाग की बहन माना जाता है। सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार मां मनसा देवी माता शक्ति का ही एक रूप हैं। वो कश्यप ऋषि की पुत्री थीं और उनके मन से अवतरित हुई थीं। इसलिए वह मनसा कहलाईं। नाम के अनुसार मां मनसा देवी भक्तों की मनसा (इच्छा) पूर्ण करने वाली हैं। भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण कराने के लिए यहां पेड़ की शाखा पर एक पवित्र धागा बांधते हैं।

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भक्त अपनी इच्छा पूरी करने के लिए मंदिर प्रांगण में स्थित पेड की शाखा पर एक पवित्र धागा बांधते हैं। जब भक्तों की इच्छा पुरी हो जाती है, तो भक्त पुनः आकर उसी धागे को शाखा से खोल देते हैं। इस प्रथा से माता के प्रति असीम श्रधा, भक्ति और निष्ठा दिखाई देती है। भक्त मनसा मां को खुश करने के लिए मंदिर में नारियल, मिठाई आदि भेंट स्वरुप चढाते हैं। यह मंदिर सिद्ध पीठ है, जहां इच्छित आशीर्वाद प्राप्त होता है।

मंदिर से मां गंगा और हरिद्वार के समतल मैदान अच्छे से दिखते हैं। लेकिन, मंदिर तक पहुंचने के लिए या तो आपको चढ़ाई करनी पड़ेगी और या फिर रोप की सहायता से आना होंगा। मंदिर तक पहुचने के लिए आपको कुल 786सीढियां चढ़नी पड़ती है।

लेकिन यात्रियों की सेवा में यहां रोप चढ़ाई की सुविधा भी उपलब्ध करायी गयी है, जिसे “मनसा देवी उड़नखटोला” के नाम से जाना जाता है। यह रोप भक्तो को निचले स्टेशन से सीधे मनसा देवी मंदिर तक पहुचता है। मंदिर साधारणतः सुबह 5 AM बजे से रात 9 PM तक खुला रहता है, जिनमे से दोपहर 12 PM से दोपहर 2 PM बजे तक मंदिर को भोजन के लिए बंद रखा जाता है।

शहर से पैदल आने वालों को करीब डेढ़ किमी की खड़ी चढ़ाई चढ़ती पड़ती है। मंदिर से कुछ पहले कार या बाइक से भी पहुंचा जा सकता है।



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