करीब चार माह से देश में कोरोना संक्रमण ने हर किसी के लिए जीना मुहाल कर रखा है। ऐसे में जहां अब तक इस महामारी को रोकने के लिए न तो कोई वैक्सीन बन पायी हैं, और न ही अब तक इसके संक्रमण के फैलाव पर कोई रोक लग सकी है।
कुल मिलाकर इस समय संपूर्ण विश्व “कोरोना” नामक वायरस से ग्रसित है, विश्व के अधिकांश हिस्सों में इस समय लॉकडाउन है। भारत में भी इसका असर दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है, इससे अनिश्चिता, भय और नकारात्मकता का माहौल बना हुआ है।
ऐसे में ज्योतिष के जानकार पंडित सुनील शर्मा के अनुसार इस संकट से निपटने के लिए हमें नयी शक्ति, नए प्राण और साहस की आवश्यकता है, जो हमें हनुमान जी की उपासना से प्राप्त हो सकती है। वहीं चिकित्सकों के अनुसार भी इस बीमारी से लड़ने के लिए हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होनी चाहिए, और इसके लिए आपको सकारात्मक वातावरण की आवश्यकता है। लेकिन दुर्भाग्य से ये अभी प्राप्त होता हुआ नज़र नहीं आ रहा।
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ऐसे करेंगे हनुमान जी हमारी मदद...
पंडित शर्मा के अनुसार कोरोना काल में हमें भी हनुमान जी की उपासना कर अपने अंदर सकारात्मकता, उत्साह और ऊर्जा का संचार करना होगा, जो हमें सकारात्मक बनाएगी और मान्यता के अनुसार यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि करेगी।
श्री रामदूत हनुमान जी के बारे में शास्त्रों में वर्णित है कि सनातन धर्म में जिन आठ चिरंजीवियों का जो वर्णन मिलता है, उनमें हनुमान जी महाराज का प्रमुख स्थान है। इसलिए यदि हम हनुमान जी का आह्वान करते हैं तो, जैसे उन्होनें भगवान राम के कार्य सिद्ध किये थे,
उसी प्रकार वह आपकी सारी परेशानियों को भी दूर कर आपके सभी कार्य सिद्ध करेंगे, परन्तु इसमें कहीं भी हमारा विश्वास कमज़ोर नहीं पड़ना चाहिए। जितना हमारा विश्वास मजबूत होगा, उतना हमारी संकटों और कष्टों से लड़ने की शक्तियां विकसित होंगी और साहस और निर्भीकता में वृद्धि होगी।
धार्मिक ग्रंथों में भी बजरंगबली की पूजा आराधना, ध्यान का बहुत महत्व बतलाया गया है, माना जाता है कि इनको करने से आपके समस्त रोग, शोक दूर होंगे और आप परम शांति प्राप्त कर सकेंगे।
कोरोना का ज्योतिष और हनुमान
हम सभी यह जानते हैं कि इस समय कोरोना का कहर अपने चरम पर है, तो इसको ज्योतिष के हिसाब से हम देखें तो इसको बढ़ाने में तीन मुख्य ग्रहों की भूमिका सामने आ रही है, पहला शनि जो पीड़ा का, नकरात्मकता, दुःख का कारक ग्रह माना जाता है। दूसरा केतु जो कि वायरस का वाहक माना गया है, इसमें उच्च का मंगल जो कि तामसिक ग्रह है और अग्नि तत्व ग्रह है, जैसे अग्नि बहुत ही तीव्र गति से फैलती है, उसी प्रकार यह कोरोना भी वातावरण में तेजी से फैला रहा है।
: धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान् हनुमान जी ने जब सूर्य भगवान् से शिक्षा प्राप्त की थी तो उन्होनें गुरु दक्षिणा में शनि महाराज का प्रकोप शांत किया था। तभी से आज तक शनि महाराज के प्रकोप को शांत करने के लिए हनुमान जी की उपासना का महत्व है। वहीं मंगल ग्रह का भी संबंध हनुमान जी से माना गया है, ऐसे में माना जाता है कि हनुमान जी की उपासना करने से मंगल के दोष स्वतः दूर होने शुरू हो जाते हैं।
: केतु ग्रह को ज्योतिष में कुजवत कहा गया है, हर देवता में किसी न किसी ग्रह का अंश माना जाता है, भगवान् कृष्णा चन्द्रमा के पूर्ण अवतार माने जाते हैं, उनमें चन्द्रमा की सोलह कलाएं मौजूद हैं, उसी प्रकार केतु में मंगल का अंश माना जाता है।
राहु -केतु अपने छद्म वेश के लिए जाने जाते हैं, उसी प्रकार यह वायरस भी छद्म वेश धारण करके आया है, और जिस प्रकार हनुमान जी ने कालनेमि और अहिरावण का छद्म वेश भंग किया था, उसी प्रकार भगवान् महावीर की उपासना से इस वायरस रुपी राक्षस से लड़ने में हमें सफलता की प्राप्ति मिलेगी ।
रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएंगे –
पं. शर्मा के अनुसार शुक्र का संबंध संजीवनी से है, शुक्राचार्य को संजीवनी विद्या का गुरु माना जाता है। इसका संबंध भी हनुमान जी से है , क्योंकि हनुमान जी न केवल ज्ञानियों में अग्रगणीय हैं, बल्कि आयुर्वेद के भी अच्छे ज्ञाता हैं।
रामचरित मानस में भी प्रंसग है कि जब लक्ष्मण जी को ब्रह्मशक्ति लग जाती है, तब भगवान् श्री राम और सुषेण वैद्य संजीवनी बूटी लाने के लिए हनुमानजी को ही भेजते हैं। अतः मंगलवार को भगवान् हनुमान की उपासना करने से आपको निश्चित ही प्रतिरोधक क्षमता और रोगों से लड़ने में सहायता मिलेगी।
इस मंत्र का जाप करें –
सुमिरि पवन सुत पावन नामू।
अपने बस करे राखे रामू।
हनुमान जी वायु पुत्र कहे गए हैं, वायु यानि वात जो कि त्रिदोषों में सबसे प्रधान है, यदि वात शुद्ध रूप में स्थित हो तो मनुष्य प्रायः निरोग रह सकेगा। एक बार का प्रसंग भी है कि श्री तुलसीदास की भुजाओं में वायु-प्रकोप के चलते बहुत पीड़ा हो रही थी। उस समय उन्होंने हनुमान बाहुक की रचना कर उसका चमत्कारिक लाभ प्राप्त किया । अतः इस हनुमान बाहुक का पाठ करना बहुत शुभ रहेगा।
शनि हमारी कुंडली में प्राण, जीवन शक्ति के कारक हैं, और हनुमान जी ने प्राणों पर विजय प्राप्त की थी, जैसे हनुमान जी अजेय थे, वैसे ही हमारे प्राण अजेय हैं, जिनका ह्रास नहीं हो सकता , उनको गति दी जा सकती है, इसलिए इस समय ''प्राणायाम “आपको बहुत लाभप्रद परिणाम देगा। जब भी आपको लगे कि कुछ भी आपके हिसाब से नहीं चल रहा, आप हताश और निराश हों तो, इससे आपको लाभ भी मिलेगा और अपनी गुप्त शक्तियों से अवगत होने का मौका मिलेगा!
इस समय “बजरंग बाण “का पाठ करना बहुत ही शुभ और कल्याणकारी रहेगा, सभी कष्टों से लड़ने की क्षमता में इजाफा होगा। मनोविज्ञान का यह अटल सिद्धांत है कि मनुष्य जिन विचारों या भावों को पूरी निष्ठा और संकल्प से बार-बार दोहराता है या जिस मानसिक स्थिति में देर तक निवास कर सकता है, वही मानसिक स्थिति उसकी आदत और स्वभाव बन जाती है।
मन से ही हमारी गुप्त शक्तियों का विकास होता है। बजरंग बाण में पूरी श्रद्धा रखने और निष्ठापूर्वक उसको बार-बार दोहराने से हमारे मन में हनुमान जी की शक्तियां समाने लगती हैं, और संकटों से मुक्ति मिलती है।
“हनूमन्न वायुपुत्र महाबल। आकस्मादागातोत्पातं नाश्याशु नमोस्तुते। – इस मंत्र का जाप चित्र पूर्णिमा से शुरू कर लगातार मानसिक जाप करें, जब तक रोग शांत न हो जाए, तब तक करते रहे, निश्चित रूप से लाभ प्राप्त होगा ।
नासै रोग हरे सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा।। -हनुमान जी के इस मंत्र का यथा शक्ति जाप करने से कष्ट दूर होते हैं, मनुष्य मानसिक रूप से मजबूत होता है।
बुद्धिहीन तनु जानि के सुमिरौं पवनकुमार। बल बुद्धि विद्या देहुँ मोहि हरहु कलेस बिकार।। इस दोहे का जाप मानसिक क्लेश, रोग और दुर्बलता दूर करने में विशेष लाभप्रद है।
दीनदयाल बिरिदु संभारि। हरहु नाथ मम संकट भारी।।- इस मंत्र का मानसिक जाप आपको हर व्याधि से निपटने में सहायता करेगा !
हनुमान जी बल, बुद्धि के साथ-साथ समर्पण और निष्ठा के भी पूरक हैं, तो जितना आपमें विश्वास और निष्ठा होगी, उतना ही आपको अधिक उपासना का लाभ मिलेगा और आपमें जल्दी ही हर समस्या से निपटने की क्षमता विकसित होगी।
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