एकादशमुखी हनुमान जी का मंदिर, जहां मिलती है हर संकट से मुक्ति

कलयुग के प्रमुख देवों में से एक बजरंगबली को चिरंजवी माना जाता है। वहीं सप्ताह में इनका दिन मंगलवार है, जबकि शनिवार को भी इनकी पूजा का विधान है। जबकि मंगलवार के संबंध में मान्यता है कि इस दिन के कारक देव होने के कारण यह मंगलवार को जल्द प्रसन्न हो जाते हैं।

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार बजरंगबली यानि संकट मोचन हनुमान अपने सारे भक्तों के संकटों को हर लेते हैं, जो भी मनुष्य उनकी सच्चे मन से भक्ति करता है, वह निश्चित ही कई संकटो से मुक्त हो जाता है।

ऐसे में आज हम आपको भगवान बजरंग बली के एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जो देश का एक मात्र ग्यारह मुखी हनुमान मंदिर है। जी हां यह देश का बड़ा ही अद्भुत एकादशमुखी यानि 11 मुखी हनुमान मंदिर है, जो श्रध्दा का प्रमुख केंद्र है। यह मंदिर देवभूमि उत्तराखंड के देहरादून में स्थित है।

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दरअसल देहरादून शहर से जामुनवाला स्थित उत्तराखंड का एकमात्र 11 मुखी हनुमान मंदिर श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। इस मंदिर के पीछे कथा ये है कि रावण ने महामृत्युंजय का जाप करते हुए शिव के दस रुद्रों को प्रसन्न किया और दस सिर वाले रावण का वरदान प्राप्त किया।

परंतु जब उसने शिव के वरदान का गलत उपयोग किया, तो उसके विनाश को और श्री राम की सेवा के लिए शिव ने 11 वें रुद्रअवतार के रूप में हनुमान के रूप में जन्म लिया। मां जानकी से अजर अमर अविनाशी होने का वरदान भी प्राप्त किया।

वहीं जब लक्ष्मण जी को मेघनाथ से युद्ध करते समय मूर्छा आयी थी और सुषेन वैद्य की सलाह पर संजीवनी लेने हनुमान उत्तराखंड की पर्वत श्रृंखला के द्रोणागिरी पर्वत पर संजीवनी लेने आये थे।

हनुमान जब संजीवनी बूटी लेने यहां आये तो कुछ पल जोशीमठ के ठीक ऊपर औली जो अब अंतर्राष्ट्रीय स्कीइंग रिजार्ट के नाम से प्रसिद्ध है। उस औली शिखर पर रुके थे।

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यहां से उन्हें द्रोणागिरी पर्वत दिखा, जो आज भी दिखता है। इसी के नाम से यहां पर एकादशमुखी संजीवनी शिखर हनुमान मन्दिर बना है, जो अपनी अदभुत मान्यताओं के कारण प्रसिद्ध हैं।

एक साथ देते हैं कई आर्शीवाद...
पंडित शर्मा के अनुसार हनुमान जी कि शक्तियां जब एकादशमुखी यानि 11 मुखी हनुमान जी के साथ जुड़ती हैं तो ये चमत्कारिक रूप से और बढ़ जाती हैं। भक्त हनुमान जी से एक साथ कई आर्शीवाद पाने की चाह में 11 मुखी हनुमान जी की आराधाना करते हैं।

क्योंकि बजरंगबली का हरएक मुख अपनी अलग शक्तियों और व्यक्तित्व के लिए जाना जाता है, इसलिए भगवान की पूजा से अलग-अलग फल की प्राप्ति भी होती है। भगवान की पूजा करने से एक साथ कई मनोकामनाओं की पूर्ति हो जाती है। हालांकि 11 मुखी हनुमान जी की मूर्ति या मंदिर हर जगह आसानी से नहीं मिलती जबकि एक मुखी हनुमान जी हर जगह मौजूद हैं।

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सामान्यत: एकमुखी के बाद पंचमुखी हनुमान जी के मंदिर होते हैं। लेकिन ये मंदिर भी कम ही मिलते हैं। ऐसे में यह समझा जा सकता है कि एकादशमुखी हनुमान जी की पूजा कितनी विशेष होती होगी। आइए आज भगवान के इन मुखों से उनकी शक्ति और व्यक्तित्व के बारे में जानें...

11 मुखी बजरंगबली की पूजा करने के फायदे

1. पूर्वमुखी हुनमान जी- पूर्व की तरफ मुख वाले बजरंबली को वानर रूप में पूजा जाता है। इस रूप में भगवान को बेहद शक्तिशाली और करोड़ों सूर्य के तेज के समान बताया गया है। शत्रुओं के नाश के बजरंगबली जाने जाते हैं। दुश्मन अगर आप पर हावी हो रहे तो पूर्वमूखी हनुमान की पूजा शुरू कर दें।

2. पश्चिममुखी हनुमान जी- पश्चिम की तरफ मुख वाले हनुमानजी को गरूड़ का रूप माना जाता है। इसी रूप संकटमोचन का स्वरूप माना गया है। मान्यता है कि भगवान विष्णु का वाहन गरुड़ अमर है उसी के समान बजरंगबली भी अमर हैं। यही कारण है कि कलयुग के जाग्रत देवताओं में बजरंगबली को माना जाता है।

3. उत्तरामुखी हनुमान जी- उत्तर दिशा की तरफ मुख वाले हनुमान जी की पूजा शूकर के रूप में होती है। एक बात और वह यह कि उत्तर दिशा यानी ईशान कोण देवताओं की दिशा होती है। यानी शुभ और मंगलकारी। इस दिशा में स्थापित बजरंगबली की पूजा से इंसान की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है। इस ओर मुख किए भगवान की पूजा आपको धन-दौलत, ऐश्वर्य, प्रतिष्ठा, लंबी आयु के साथ ही रोग मुक्त बनाती है।

4. दक्षिणामुखी हनुमान जी- दक्षिण मुखी हनुमान जी को भगवान नृसिंह का रूप माना जाता है। दक्षिण दिशा यमराज की होती है और इस दिशा में हनुमान जी की पूजा से इंसान के डर, चिंता और दिक्कतों से मुक्ति मिलती है। दक्षिणमुखी हनुमान जी बुरी शक्तियों से बचाते हैं।

5. ऊर्ध्वमुख- इस ओर मुख किए हनुमान जी को ऊर्ध्वमुख रूप यानी घोड़े का रूप माना गया है। इस स्वरूप की पूजाकरने वालों को दुश्मनों और संकटों से मुक्ति मिलती है। इस स्वरूप को भगवान ने ब्रह्माजी के कहने पर धारण कर हयग्रीवदैत्य का संहार किया था।

6. पंचमुखी हनुमान- पंचमुखी हनुमान के पांच रूपों की पूजा की जाती है। इसमें हर मुख अलग-अलग शक्तियों का परिचायक है। रावण ने जब छल से राम लक्ष्मण बंधक बना लिया था तो हनुमान जी ने पंचमुखी हनुमान का रूप धारण कर अहिरावण से उन्हें मुक्त कराया था।

पांच दीये एक साथ बुझाने पर ही श्रीराम-लक्षमण मुक्त हो सकते थे इसलिए भगवान ने पंचमुखी रूप धारण किया था। उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख में वह विराजे हैं।

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7. एकादशी हनुमान- ये रूप भगवान शिव का स्वरूप भी माना जाता है। एकादशी रूप रुद्र यानी शिव का 11वां अवतार है। ग्यारह मुख वाले कालकारमुख के राक्षस का वध करने के लिए भगवान ने एकादश मुख का रुप धारण किया था। चैत्र पूर्णिमा यानी हनमान जयंती के दिन उस राक्षस का वध किया था। यही कारण है कि भक्तों को एकादशी और पंचमुखी हनुमान जी पूजा सारे ही भगवानों की उपासना समना माना जाता है।

8. वीर हनुमान- हनुमान जी के इस स्वरूप की पूजा भक्त साहस और आत्मविश्वास पाने के लिए करते हें। इस रूप के जरिये भगवान के बल, साहस, पराक्रम को जाना जाता है। अर्थात तो भगवान श्रीराम के काज को संवार सकता है वह अपने भक्तों के काज और कष्ट क्षण में दूर कर देते हैं।

9. भक्त हनुमान- भगवान का यह स्वरूप में श्रीरामभक्त का है। इनकी पूजा करने से आपको भगवान श्रीराम का भी आर्शीवद मिलता है। बजरंगबली की पूजा अड़चनों को दूर करने वाली होती है। इस पूजा से भक्तों में एग्राता और भक्ति की भावना जागृत होती है।

10. दास हनुमान- बजरंबली का यह स्वरूप श्रीराम के प्रति उनकी अनन्य भक्ति को दिखाता है। इस स्वरूप की पूजाकरने वाले भक्तों को धर्म कार्य और रिश्ते-नाते निभाने में निपुणता हासिल होती है। सेवा और समर्णण का भाव भक्त इस स्वरूप के जरिये ही पाते हैं।

11. सूर्यमुखी हनुमान- यह स्वरूप भगवान सूर्य का माना गया है। सूर्य देव बजरंगबली के गुरु माने गए हैं। इस स्वरूप की पूजा से ज्ञान, प्रतिष्ठा, प्रसिद्धि और उन्नति का रास्ता खोलता है। क्योंकि श्रीहनुमान के गुरु सूर्य देव अपनी इन्हीं शक्तियों के लिए जाने जाते हैं।

पं. शर्मा के अनुसार अगर आपकी बहुत सी मनोकामनाएं हैं जिन्हें आप एक साथ भगवान हनुमान से पूरी कराने की चाह रखते हैं तो एकादशमुखी हनुमान जी की पूजा करना आपके लिए फलदायी होगा। यह पूजा हमेशा मंदिर में ही करनी चाहिए।



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