शारदीय नवरात्र 2020 : इस बार अश्व पर आएंगी देवी मां, जानें इसका असर

श्राद्ध पक्ष के ठीक बाद शुरु होने वाली शारदीय नवरात्र इस वर्ष यानि 2020 में श्राद्ध पक्ष की समाप्ति के एक माह बाद शुरु होगी। दरअसल इस साल श्राद्ध पक्ष की समाप्ति के साथ ही अधिकमास यानि पुरुषोत्तम मास शुरू हो जाने से इस बार कई त्योहार आगे बढ़ गए हैं। ऐसे में इस बार नवरात्र 2020 का आरंभ 17 अक्टूबर से होने जा रहा है। ऐसे में इस बार मां दुर्गा का आगमन अश्व यानि घोड़े पर होगा, जबकि देवी मां प्रस्थान हाथी पर करेंगी।

जानकारों के अनुसार आमतौर पर पितृपक्ष के समाप्त होते ही अगले दिन से नवरात्र का आरंभ हो जाता है। लेकिन अबकी बार मलमास ने पितृपक्ष और नवरात्र के बीच एक महीने का अंतर ला दिया है। इस वजह से माता के भक्तों को माता की अगवानी के लिए पूरे एक महीने का इंतजार करना होगा। ज्योतिषशास्त्र और देवीभाग्वत पुराण के अनुसार मां दुर्गा का आगमन भविष्य में होने वाली घटनाओं का भी संकेत देता है।

नवरात्र में माता का वाहन...
यूं तो मां दुर्गा का वाहन सिंह को माना जाता है। लेकिन हर साल नवरात्रि के समय तिथि के अनुसार माता अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं। यानी माता सिंह की बजाय दूसरी सवारी पर सवार होकर भी पृथ्वी पर आती हैं।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार देवीभागवत पुराण में भी कहा गया है कि ‘शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे। गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥ इस श्लोक में सप्ताह के सातों दिनों के अनुसार देवी के आगमन का अलग-अलग वाहन बताया गया है। अगर नवरात्र का आरंभ सोमवार या रविवार को हो तो इसका मतलब है कि माता हाथी पर आएंगी।

वहीं शनिवार और मंगलवार को आश्विन शुक्ल प्रतिपदा यानी कलश स्थापना हो, तब माता अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं। गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र का आरंभ हो रहा हो तब माता डोली पर आती हैं। बुधवार के दिन नवरात्र पूजा आरंभ होने पर माता नाव पर आरुढ़ होकर आती हैं।

ऐसे समझें नवरात्र 2020...

दिन : तिथि : देवी मां : दिनांक : सप्ताह का वार
नवरात्रि दिन 1 : प्रतिपदा : मां शैलपुत्री पूजा व घटस्थापना : 17 अक्टूबर 2020 : शनिवार
—: मां शैलपुत्री पूजा - यह देवी दुर्गा के नौ रूपों में से प्रथम रूप है। मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं और इनकी पूजा से चंद्रमा से संबंधित दोष समाप्त हो जाते हैं।
दिन का रंग: प्रतिपदा- पीला रंग
नवरात्रि दिन 2 : द्वितीया : मां ब्रह्मचारिणी पूजा : 18 अक्टूबर 2020 : रविवार
—: मां ब्रह्मचारिणी पूजा - ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार देवी ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
दिन का रंग: द्वितीया- हरा रंग
नवरात्रि दिन 3 : तृतीया : मां चंद्रघंटा पूजा : 19 अक्टूबर 2020 : सोमवार
—: मां चंद्रघंटा पूजा - देवी चंद्रघण्टा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से शुक्र ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
दिन का रंग: तृतीया- भूरा रंग
नवरात्रि दिन 4 : चतुर्थी : मां कुष्मांडा पूजा : 20 अक्टूबर 2020 : मंगलवार
—: मां कूष्मांडा पूजा - मां कूष्माण्डा सूर्य का मार्गदर्शन करती हैं अतः इनकी पूजा से सूर्य के कुप्रभावों से बचा जा सकता है।
दिन का रंग: चतुर्थी- नारंगी रंग
नवरात्रि दिन 5 : पंचमी : मां स्कंदमाता पूजा : 21 अक्टूबर 2020 : बुधवार
—: मां स्कंदमाता पूजा - देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से बुध ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
दिन का रंग: पंचमी- सफेद रंग
नवरात्रि दिन 6 : षष्ठी : मां कात्यायनी पूजा : 22 अक्टूबर 2020 : गुरुवार
—: मां कात्यायनी पूजा - देवी कात्यायनी बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से बृहस्पति के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
दिन का रंग: षष्टी- लाल रंग
नवरात्रि दिन 7 : सप्तमी : मां कालरात्रि पूजा : 23 अक्टूबर 2020 : शुक्रवार
—: मां कालरात्रि पूजा - देवी कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से शनि के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
दिन का रंग: सप्तमी- नीला रंग
नवरात्रि दिन 8 : अष्टमी

: मां महागौरी

(दुर्गा महा अष्टमी पूजा

दुर्गा महा नवमी पूजा)

: 24 अक्टूबर 2020 : शनिवार
—: मां महागौरी पूजा - देवी महागौरी राहु ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से राहु के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
दिन का रंग: अष्टमी- गुलाबी रंग
नवरात्रि दिन 9 : नवमी

: मां सिद्धिदात्री

(नवरात्रि पारणा
विजय दशमी)

: 25 अक्टूबर 2020 : रविवार

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—: मां सिद्धिदात्री पूजा - देवी सिद्धिदात्री केतु ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से केतु के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
दिन का रंग: नवमी- बैंगनी रंग
नवरात्रि दिन 10 : दशमी : दुर्गा विसर्जन : 26 अक्टूबर 2020 : सोमवार
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देवी मां दुर्गा के वाहन का प्रभाव
अबकी शारदीय नवरात्र का आरंभ शनिवार को हो रहा है। ऐसे में देवीभाग्वत पुराण के कहे श्लोक के अनुसार माता का वाहन अश्व होगा। अश्व पर माता का आगमन छत्र भंग, पड़ोसी देशों से युद्ध, आंधी तूफान लाने वाला होता है। ऐसे में आने वाले साल में कुछ राज्यों में सत्ता में उथल-पुथल हो सकता है। सरकार को किसी बात से जन विरोध का भी सामना करना पड़ सकता है। कृषि के मामले में आने वाल साल सामान्य रहेगा। देश के कई भागों में कम वर्षा होने से कृषि का हानि और किसानों को परेशानी होगी।

अश्व वाहन से होता है ये...
नवरात्रि का विशेष नक्षत्रों और योगों के साथ आना मनुष्य जीवन पर खास प्रभाव डालता है। ठीक इसी प्रकार कलश स्थापन के दिन देवी किस वाहन पर विराजित होकर पृथ्वी लोक की तरफ आ रही हैं, इसका भी मानव जीवन पर विशेष असर होता है। पंडित शर्मा के अनुसार इस वर्ष देवी अश्व पर आ रही हैं जो कि युद्ध का प्रतीक होता है।

इससे शासन और सत्ता पर बुरा असर होता है। सरकार को विरोध का सामना करना पड़ सकता है। किन्तु जिन लोगों पर देवी की विशेष कृपा होगी उनके अपने जीवन में अश्व की गति के सामान ही सफलता की प्राप्ति होगी। इसलिए नवरात्रि के दौरान पूरे मन से देवी की अरााधना करें, व्रत करें एवं मां प्रसन्न करने की हर संभव कोशिश करें।

नवरात्रि का पर्व देवी शक्ति मां दुर्गा की उपासना का उत्सव है। नवरात्रि के नौ दिनों में देवी शक्ति के नौ अलग-अलग रूप की पूजा-आराधना की जाती है। एक वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं, चैत्र, आषाढ़, माघ और शारदीय नवरात्र। इनमें चैत्र और अश्विन यानि शारदीय नवरात्रि को ही मुख्य माना गया है। इसके अलावा आषाढ़ और माघ गुप्त नवरात्रि होती है। शारदीय नवरात्रि अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनायी जाती है। शरद ऋतु में आगमन के कारण ही इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है।



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