संकेतों के अंतर्गत तिल विचार, अंग फड़कना और आसपास की प्रकृति और वातावरण को समझना आदि आते हैं। ज्योतिष के एक ग्रन्थ समुद्रिक शास्त्र में शरीर के अंगों के फड़कने के अर्थों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है।
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