करवाचौथ 2020 : जानें नियम, सावधानियां, पूजा विधि व महत्व के साथ ही वह मंत्र जाप जो पूरी करेगा मनोकामना

सुहागिन महिलाओं का प्रमुख त्योहार करवाचौथ इस साल 4 नवंबर को मनाया जाएगा। इस व्रत का महत्व बेहद खास होता है। इस पर्व का इंतज़ार सुहागिन महिलाएं पूरे साल भर करती हैं। यह व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है। इस पर्व के दौरान खुशहाल दामपत्य जीवन की भी कामना की जाती है। ये व्रत सूर्योदय से पहले शुरू होता है जिसे चांद निकलने तक रखा जाता है।

इस व्रत में सांस अपनी बहू को सरगी देती है। इस सरगी को लेकर बहु अपने व्रत की शुरुआत करती हैं। इस संबंध में पंडित सुनील शर्मा का कहना है कि एक ऐसा विशेष मंत्र भी है, जिसका जाप इस दिन काफी फलदायी साबित होता है।इस मंत्र का जाप आप रात को चंद्रमा की पूजा के दौरान करें। तो आइए जानते हैं उस मंत्र के बारे में…

विशेष मंत्र-
करवाचौथ की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है। ऐसे में रात के समय चंद्रमा को जल अर्पण करने के दौरान आपको इस मंत्र का जाप करना चाहिए-

सौम्यरूप महाभाग मंत्रराज द्विजोत्तम, मम पूर्वकृतं पापं औषधीश क्षमस्व मे

MUST READ : इस बार करवा चौथ 2020 का व्रत है बेहद खास

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अर्थात- मन को शीतलता पहुंचाने वाले, सौम्य स्वभाव वाले ब्राह्मणों में श्रेष्ठ, सभी मंत्रों एवं औषधियों के स्वामी चंद्रमा मेरे द्वारा पूर्व के जन्मों में किए गए पापों को क्षमा करें। मेरे परिवार में सुख शांति का वास हो।

करवा चौथ 2020 का खास मुहूर्त
करवा चौथ की कथा और पूजन के लिए खास मुहूर्त (Muhurat) बना है। इस बार शुभ मुहूर्त 5:34 बजे से शाम 6:52 बजे तक है। चार नवंबर को प्रातः 3:24 बजे से कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि सर्वार्थ सिद्धि योग एवं मृगशिरा नक्षत्र में चतुर्थी तिथि का समापन 5 नवंबर को प्रातः 5:14 बजे होगा।

करवाचौथ व्रत की पूजा विधि
सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाएं। सरगी के रूप में मिला हुआ भोजन करें, पानी पीएं और भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें। करवाचौथ में महिलाएं पूरे दिन जल-अन्न कुछ ग्रहण नहीं करतीं। शाम के समय चांद को देखने के बाद दर्शन कर व्रत खोलती हैं।

पूजा के लिए शाम के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना कर इसमें करवे रखें। एक थाली में धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर रखें और घी का दीपक जलाएं। पूजा चांद निकलने के एक घंटे पहले शुरु कर देनी चाहिए। इस दिन महिलाएं एक साथ मिलकर पूजा करती हैं।

करवा चौथ पर मंगलसूत्र का महत्व
मंगलसूत्र वैवाहिक जीवन का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है। यह एक काले मोतियों की माला होती है, जिसे महिलाएं अपने गले में धारण करती हैं। इसके अंदर बहुत सारी चीजें जुडी होती हैं और हर चीज का संबंध शुभता से होता है। माना जाता है कि मंगलसूत्र धारण करने से पति की रक्षा होती है और पति के जीवन के सारे संकट कट जाते हैं। जबकि यह महिलाओं के लिए भी रक्षा कवच और सम्पन्नता का काम करता है।

क्या क्या चीजें होती हैं? मंगलसूत्र के अंदर
मंगलसूत्र में पीला धागा होता है। इसी पीले धागे में काले मोती पिरोए जाते हैं. साथ में एक सोने या पीतल का लॉकेट भी लगा हुआ होता है। यह लॉकेट गोल या चकोर दोनों हो सकता है। मंगलसूत्र में सोना या पीतल भले ही न लगा हो पर पीले धागे में काली मोतियां जरूर होनी चाहिए।

मंगलसूत्र धारण करने के नियम और सावधानियां :
- मंगलसूत्र या तो स्वयं खरीदें या अपने पति से लें।
- किसी अन्य से मंगलसूत्र लेना उत्तम नहीं होता।
- मंगलसूत्र मंगलवार को न खरीदें।
- धारण करने के पूर्व इसे मां पार्वती को अर्पित करें।
- जब तक बहुत ज्यादा जरूरी न हो मंगलसूत्र को न उतारें।
- मंगलसूत्र में लगा हुआ सोना अगर चकोर हो तो बहुत उत्तम होगा।

करवा चौथ के दिन बनने वाला शुभ योग
करवाचौथ पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग होना अपने आप में एक अद्भुत योग है। करवाचौथ रविवार के दिन होने से इसका महत्व और बढ़ गया है। चंद्रमा में रोहिणी का योग होने से मार्कण्डेय और सत्यभामा योग बन रहा है। यह योग चंदमा की 27 पत्नियों में सबसे प्रिय पत्नी रोहिणी के साथ होने से बन रहा है। पति के लिए व्रत रखने वाली सुहागिनों के लिए यह बेहद फलदायी होगा।

माना जाता है कि ऐसा योग भगवान श्रीकृष्ण और सत्यभामा के मिलन के समय भी बना था। यह योग न केवल कुछ ही समय के लिए बल्कि पूरे दिन के लिए बन रहा है, जिसमें करवा चौथ का व्रत रखने पर महिलाओं को अपने व्रत का कई गुना लाभ की प्राप्त होगा। सर्वार्थ सिद्धि योग शुभ योगों में से एक माना जाता है। इस योग में किया गया कोई भी कार्य अवश्य ही सफल होता है और साथ ही उस कार्य का कई गुना लाभ भी प्राप्त होता है।



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