Govardhan Puja 2020: आज गोवर्धन पूजा पर होती है श्रीकृष्ण की आराधना, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

दीपावली के चौथे दिन यानि दिवाली के अगले दिन प्रतिपदा पर गोवर्धन पूजा की जाती है। अन्नकुट महोत्सव को लेकर मंदिरों में ठाकुर जी को छप्पन भोग भी लगाए जाएंगे। इसे लेकर देश भी के मंदिरों में खास तैयारी की गई है, वहीं लोगों ने घरों में गोवर्धन पूजा को लेकर खरीदारी की है।

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja 2020) या अन्नकूट उत्सव दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है। ऐसे में इस बार गोवर्धन पूजा 15 नवंबर को यानि की दिवाली ठीक एक दिन पड़ रहा है। मान्यता है कि ब्रज वासियों की रक्षा के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से इसी दिन विशाल गोवर्धन पर्वत या गिरिराज पर्वत को कनिष्ठ उंगली पर उठाकर हजारों जीव-जंतुओं और मानव जीवन को भगवान इंद्र के कोप से बचाते हुए, भगवान कृष्ण ने बृजवासियों की भारी बारिश से जान बचाई थी, वहीं से गोवर्धन पूजा शुरू हो गई थी।

उस समय भगवान श्री कृष्ण के प्रतीक रूप में गोवर्धन जी को छप्पन भोग लगाने के उपरांत प्रसाद वितरित किया गया था। इसके साथ ही द्वापर युग से अन्नकूट और गोवर्धन पूजा की परंपरा की शुरुआत हुई थी।

गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्‍ण (Sri Krishna), गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा का विधान है। इतना ही नहीं, इस दिन 56 या 108 तरह के पकवान बनाकर श्रीकृष्‍ण को उनका भोग लगाया जाता है। इन पकवानों को 'अन्‍नकूट' (Annakoot or Annakut) कहा जाता है।

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दिवाली के त्‍यौहार को हिंदू धर्म के प्रमुख त्‍यौहारों में से एक माना गया है और इसी के अगले दिन आता है गोवर्धन पूजा जिसका अपना अलग और खास महत्व है। इस पर्व पर भगवान श्री कृष्‍ण के गोवर्धन स्‍वरूप की पूजा की जाती है और उन्‍हें 56 भोग और अन्‍नकूट का प्रसाद चढ़ाया जाता है। तो चलिए जानते हैं इस पूजा से जुड़ी खास बातें...

गोर्वधन पूजा के नियम और विधि
1. इसके लिए आप गाय के गोबर से पहले चौक और पर्वत बनाएं और इसे अच्छे से फूलों से सजाए. अब गोवर्धन पर धूप, दीप, जल और फल आदि रखें और कथा पढ़ें।

2. जब पूजा हो जाए तो गोवर्धन की सात बार परिक्रमा करें, इस दौरान आपके हाथों में जल होना चाहिए आप उसे किसी लोटे में लें, ध्यान रहे कि परिक्रमा के वक्त जल थोड़ा-थोड़ा गिरता रहना चाहिए।

3. गोवर्धन पूजा में अन्‍नकूट का प्रसाद जरूर चढ़ाएं और पूजा के बाद घर के सभी सदस्‍यों को यह प्रसाद ग्रहण करने के लिए दें।

4. शाम को चांद के दर्शन ना करें, यदि आप इस तरह पूरे विधि-विधान के साथ गोर्वधन पूजा करते हैं तो आपको भगवान श्री कृष्‍ण के आशीर्वाद के साथ-साथ धन, संतान और गौ रस सुख भी प्राप्‍त होता है।

शुभ मुहूर्त shubh muhurat
इस बार कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि 15 नवंबर की सुबह 10 बजकर 36 मिनट पर आरंभ हो रही है, जो 16 नवंबर की सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक रहेगी। गोवर्धन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 03 बजकर 19 मिनट से संध्या 05 बजकर 26 मिनट तक है।

गोवर्धन पूजा की कहानी : Story of govardhan puja
भगवान श्री कृष्ण ने बृजवासियों को इंद्र की पूजा करते हुए देखा तो उनके मन में इसके बारे में जानने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई। श्री कृष्ण की मां भी इंद्र की पूजा कर रही थीं, कृष्ण ने इसका कारण पूछा तब बताया गया कि इंद्र बारिश करते हैं, तब खेतों में अन्न होता है और हमारी गायों को चारा मिलता है। इस पर श्री कृष्ण ने कहा कि हमारी गायें तो गोवर्धन पर्वत पर ही रहती हैं, इसलिए गोवर्धन पर्वत की पूजा की जानी चाहिए।

इस पर बृजवासियों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू कर दी तब इंद्र को क्रोध आया और उन्होंने मूसलाधार बारिश शुरू कर दी। चारों तरफ पानी के कारण बृजवासियों की जान बचाने के लिए श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठ उंगली पर उठा लिया। लोगों ने उसके नीचे शरण लेकर अपनी जान बचाई। इंद्र को जब पता चला कि कृष्ण ही विष्णु अवतार हैं, तब उन्होंने उनसे माफी मांगी। इसके बाद श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पूजा के लिए कहा और इसे अन्नकुट पर्व के रूप में मनाया जाने लगा।



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