kartik Purnima 2020 : धन प्राप्ति के लिए अपनाएं सटीक उपाय

सनातन हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का बहुत ही महत्व है। हर वर्ष यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को आता है। कहते हैं कि इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की आराधना करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कार्तिक पूर्णिमा के खास दिन पर जप, तप और दान का विशेष महत्व बताया जाता है। इसके अलावा इसी दिन महादेव ने त्रिपुरासुर नामक असुर का संहार किया था। इसी कारण से इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं। इस अवसर पर पवित्र नदी का स्नान, दीपदान, भगवान की पूजा, आरती, हवन और दान का बहुत महत्व है।

यदि इस दिन आप गंगा स्‍नान करते हैं तो आपको विशेष फल की प्राप्‍ति होगी क्‍योंकि इस दिन आकाश से अमृत वृष्टि होती है। इसी अमृत को पाने के लिए लाखों श्रद्धालु धर्मनगरी में स्‍नान करने आते हैं।

कार्तिक महीने की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा, त्रिपुरी पूर्णिमा और गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार साल का आठवां महीना कार्तिक महीना होता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 'कार्तिक पूर्णिमा' कहलाती है। इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा 30 नवंबर 2020 को आ रही है।

कार्तिक पूर्णिमा 2020 पूजा का शुभ मुहूर्त (Kartik Purnima 2020 Puja Ka Shubh Muhurat)
पूर्णिमा तिथि शुरू – 29 नवंबर, रविवार को दोपहर 12 बजकर 48 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्‍त – 30 नवंबर, सोमवार को दोपहर 03 बजे तक।
कार्तिक पूर्णिमा संध्या पूजा का मुहूर्त – 30 नवंबर, सोमवार – शाम 5 बजकर 13 मिनट से शाम 5 बजकर 37 मिनट तक।


अपार धन प्राप्ति के लिए करें सटीक उपाय : Accurate Measures to Get Money on kartik Purnima day
: इस दिन अपने घर को गंदा बिल्‍कुल ना छोड़ें और साफ-सफाई जरूर करें। ऐसा करने से घर में लक्ष्‍मी जी का आगमन होता है। अपने घर के द्वार को भी सजाएं।

: घर के द्वार के सामने स्वास्तिक बनाएं तथा विष्णु भगवान और मां लक्ष्मी की पूजा करें।

: कार्तिक पूर्णिमा पर चांद जरूर देखें और साथ ही उसे मिश्री और खीर का भोग चढ़ाएं।

: इस दिन गो दान का फल अनंत पुण्यदायी है।

: इस दिन दीपदान करने का भी महत्व होता है। इससे घर की सभी परेशानियां दूर होती हैं और सुख का वास होता है। यदि आप किसी कारण नदी में दीपदान नहीं कर सकते तो इस दिन किसी पास के मंदिर में जा कर दीप-दान करें।

: चावल, शकर और दूध का दान या बहुत थोड़ी मात्रा में नदी में इन्हें बहाने से भी अक्षय पुण्य फल मिलता है।

इस बार पूर्णिमा के दिन उपछाया चंद्रग्रहण पड़ रहा है और महायोग सर्वार्थ सिद्धि योग लग रहा है। पूर्णिमा की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मी हैं और इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का भी विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संसार की शुरुआत से ही कार्तिक पूर्णिमा का सबसे अधिक महत्व रहा है क्योंकि यह बहुत पवित्र और शुभ दिन होता है। ज्योतिष शास्त्र में इस दिन का लाभ प्राप्त करने के लिए कुछ उपाय बताए हैं।

-: मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन धन-संपदा की प्राप्ति के लिए लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें और सांयकाल के समय जल में दीपदान करें। ऐसा करने से महालक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है और घर में बरकत होती है। इस स्तोत्र को पढ़ने-सुनने से धन-धान्य कभी कमी नहीं आती।

-: कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी बैकुंठ धाम पहुंची थीं और तुलसी के लक्ष्मी का रूप माना जाता है। इसलिए इस दिन सुबह-शाम तुलसी पूजन करें और तुलसी चालिसा का पाठ करें। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।

-: माना जाता है कि पूर्णिमा के दिन जहां आप धन रखते हों, जैसे अलमारी या तिजोरी में लाल वस्त्र में कौड़ी, काली हल्दी, गोमती चक्र और एक सिक्का लपेटकर रख दें। मान्यता है कि इससे घर में धन संपत्ति की बरकत बनी रहती है और परिवार के सदस्यों के बीच प्रेमभाव बना रहता है।

-: कार्तिक पूर्णिमा के दिन महालक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं और 5 कुंवारी कन्याओं उसका भोजन कराएं और दान दक्षिणा देकर उनसे आशीर्वाद लें। ऐसा करने से देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है और स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।

जानें कार्तिक पूर्णिमा 2020 से जुड़ी कुछ खास बातें...
: प्रत्येक वर्ष पंद्रह पूर्णिमाएं होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर सोलह हो जाती है। शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने का बहुत महत्व बताया गया है।

: सृष्टि के आरंभ से ही यह तिथि बड़ी ही खास रही है। पुराणों में इस दिन स्नान, व्रत व तप की दृष्टि से मोक्ष प्रदान करने वाला बताया गया है। इसका महत्व सिर्फ वैष्णव भक्तों के लिए ही नहीं शैव भक्तों और सिख धर्म के लिए भी बहुत ज्यादा है।

: विष्णु के भक्तों के लिए यह दिन इसलिए खास है क्योंकि भगवान विष्णु का पहला अवतार इसी दिन हुआ था। प्रथम अवतार में भगवान विष्णु मत्स्य यानी मछली के रूप में थे। भगवान को यह अवतार वेदों की रक्षा, प्रलय के अंत तक सप्तऋषियों, अनाजों एवं राजा सत्यव्रत की रक्षा के लिए लेना पड़ा था। इससे सृष्टि का निर्माण कार्य फिर से आसान हुआ।

: शिव भक्तों के अनुसार इसी दिन भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का संहार कर दिया जिससे वह त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए। इससे देवगण बहुत प्रसन्न हुए और भगवान विष्णु ने शिव जी को त्रिपुरारी नाम दिया जो शिव के अनेक नामों में से एक है। इसलिए इसे 'त्रिपुरी पूर्णिमा' भी कहते हैं।

: सिख धर्म में कार्तिक पूर्णिमा के दिन को प्रकाशोत्सव के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि इसी दिन सिख सम्प्रदाय के संस्थापक गुरु नानक देव का जन्म हुआ था। इस दिन सिख सम्प्रदाय के अनुयायी सुबह स्नान कर गुरुद्वारों में जाकर गुरुवाणी सुनते हैं और नानक जी के बताए रास्ते पर चलने की सौगंध लेते हैं। इसे गुरु पर्व भी कहा जाता है।

: कार्तिक पूर्णिमा उत्सव दीपावली की भांति दीप जलाकर सायंकाल में मनाया जाता है।

: यह दिन एक नहीं बल्कि कई वजहों से खास है। इस दिन गंगा-स्नान, दीप दान, अन्य दानों आदि का विशेष महत्व है। इस दिन क्षीरसागर दान का अनंत महत्व है, क्षीरसागर का दान 24 अंगुल के बर्तन में दूध भरकर उसमें स्वर्ण या रजत की मछली छोड़कर किया जाता है।

: इस दिन चंद्र जब आकाश में उदित हो रहा हो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छह कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी की प्रसन्नता प्राप्त होती है। ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन कृतिका में शिवशंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है। अत: कार्तिक पूर्णिमा का दिन कई मायनों में बहुत खास हैं।



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