Vaikuntha Chaturdashi 2020: भगवान विष्णु प्रसन्न करने के लिए वैकुंठ चतुर्दशी के दिन करें ये उपाय, जानें श्री‍हरि विष्‍णु के 10 चमत्कारिक मंत्र...

सनातन धर्म में कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को वैकुंठ चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। दीपावली तिथि से 14 दिन बाद आने वाले इस पर्व का अत्यधिक धार्मिक महत्व माना जाता है। इस अवसर पर विभिन्न शिवालयों में पूजा अर्चना साधना का विशेष महत्व है, ये दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और भगवान शिव को समर्पित होता है। इस साल चतुर्दशी तिथि 28 नवंबर को प्रात: 10.21 बजे से प्रारंभ होकर 29 नवंबर को दोपहर 12.47 बजे तक रहेगी, जिसके चलते वैकुंठ चतुर्दशी 28 और 29 नवंबर को मनाई जाएगी।

पौराणिक मान्यता के अनुसार चार माह देवशयनी एकादशी से लेकर देव प्रबोधिनी एकादशी तक भगवान विष्णु धरती का कार्यभार शिव को सौंपकर योग निद्रा में चले जाते हैं। इस दौरान भगवान शिव ही धरती और धरतीवासियों को संभालते हैं। इसके बाद देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु जागते हैं और बैकुंठ चतुर्दशी के दिन शिव यह कार्यभार पुन: विष्णुजी को सौंप देते हैं।

इस अवसर पर उज्जैन सहित अनेक धार्मिक नगरी में हरिहर मिलन करवाया जाता है। उज्जैन में भगवान महाकाल की सवारी धूमधाम से निकालकर गोपाल मंदिर ले जाई जाती है। यहां पर दोनों एक-दूसरे की प्रिय वस्तुओं का आदान-प्रदान करते हैं। वर्ष का यह एकमात्र दिन होता है जब महाकाल को चढ़ने वाले आंकड़े के फूल और माला विष्णु अवतार गोपाल जी को अर्पित की जाती है, वहीं महाकाल को भी विष्णु भगवान की प्रिय तुलसी अर्पित की जाती है।

Baikuntha Chaturdashi Ka Shubh Muhurat and Puja Vidhi - date and time

पौराणिक कथाओं के अनुसार एकबार लोगों के मुक्ति का मार्ग पूछने के लिए नारद जी भगवान विष्णु के पास पहुंचे। नारदजी के पूंछने पर विष्णु भगवान कहते हैं कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को जो प्राणी श्रद्धा और भक्ति से मेरी और भगवान शिव की पूजा करते हैं। उनके लिए बैकुंठ के द्वार खुल जाते हैं।

बैकुंठ चतुर्दशी 2020 : Shubh Muhurat
: निशिथकाल मध्यरात्रि 11.42 से 12.37 बजे तक
: अवधि 55 मिनट
: चतुर्दशी तिथि प्रारंभ- 28 नवंबर को प्रात: 10.21 बजे से
: चतुर्दशी तिथि पूर्ण- 29 नवंबर को दोपहर 12.47 बजे तक

बैकुंठ चतुर्दशी कर व्रत विधान और पूजा विधि- vrath vidhi and puja vidhi
वैकुंठ चतुर्दशी को प्रातःकाल स्नानदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान के समक्ष व्रत का संकल्प करें और पूरे दिन व्रत करें। शाम को 108 कमल पुष्पों के साथ विष्णु भगवान का पूजन करें। उसके बाद शिव भगवान का विधि-विधान से पूजन करें। दूसरे दिन प्रातः काल भगवान शिव का पूजन कर जरूरतमंद लोगों को भोजन कराकर व्रत का पारण करें।

बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए कुछ उपाय बेहद खास माने गए हैं, जो इस प्रकार हैं...

1. विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ- मान्यता के अनुसार इस दिन अगर आप विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करेंगे तो आपको कई गुना फल प्राप्त होगा। सुबह सभी कामों को निपटाकर भगवान विष्णु के समक्ष घी का दीपक जलाएं और फिर पाठ करें।

2. केसर का टीका- भगवान विष्णु को केसर सबसे ज्यादा पसंद है, इसीलिए इस दिन पूजा के दौरान माथे पर केसर का तिलक लगाकर हरि नारायण की विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है।

3. हल्दी की माला का जाप- इस दिन भगवान विष्णु के समक्ष उनके मंत्र का जाप करना शुभ फलदायी होता है, लेकिन अगर आप ये मंत्र जाप हल्दी की माला से करेंगे तो और भी अच्छा माना जाता हैं।

4. पीला रंग पहने- भगवान विष्णु को पीला रंग सबसे ज्यादा प्रिय होता है, इसीलिए इस दिन ज्यादा से ज्यादा पीले रंग की चीजों का ही इस्तेमाल करें।

भगवान श्री‍हरि विष्‍णु के 10 चमत्कारिक मंत्र...

1. ॐ हूं विष्णवे नम:।।

2. ॐ विष्णवे नम:।।

 

3. ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

4. श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।

हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।

5. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।।

6. ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।

7. लक्ष्मी विनायक मंत्र -

दन्ताभये चक्र दरो दधानं,
कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया
लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

8. धन-वैभव व संपन्नता का मंत्र -

ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

9. विष्णु के पंचरूप मंत्र -
ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

10. सरल मंत्र -

- ॐ अं वासुदेवाय नम:
- ॐ आं संकर्षणाय नम:
- ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
- ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
- ॐ नारायणाय नम:।



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